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विभु मिश्रा
नई दिल्ली। आज की दुनिया में सोशल मीडिया सिर्फ एक ऐप या वेबसाइट नहीं, बल्कि हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है। बात चाहे रिश्तों की हो या रोजगार की, जागरूकता की हो या मनोरंजन की, सोशल मीडिया हर जगह मौजूद है। इसी डिजिटल ताकत का जश्न मनाने के लिए हर साल 30 जून को सोशल मीडिया डे मनाया जाता है। लेकिन आखिर इस तारीख को ही क्यों चुना गया? इसके पीछे की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है।
डिजिटल मुहिम से शुरुआत
सोशल मीडिया डे की नींव साल 2010 में डिजिटल वेबसाइट Mashable ने रखी थी। मकसद था सोशल मीडिया की बढ़ती ताकत और समाज में इसके योगदान को मान्यता देना। जून का महीना इसलिए चुना गया क्योंकि इसी दौरान कई बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब ने ऐतिहासिक मील के पत्थर छुए थे। तब से यह दिन दुनियाभर में डिजिटल क्रिएटर्स, ब्रांड्स और आम यूजर्स के लिए एक डिजिटल उत्सव बन गया है।
जुड़ाव का सबसे बड़ा जरिया बना सोशल मीडिया
चाहे दिल्ली में बैठा कोई युवा हो या न्यूयॉर्क का बिजनेस प्रोफेशनल सोशल मीडिया ने दूरी मिटा दी है। फेसबुक और लिंक्डइन जैसे प्लेटफॉर्म्स रिश्तों और करियर के मौके दे रहे हैं, तो वहीं इंस्टाग्राम, यूट्यूब और स्नैपचैट ने कला और क्रिएटिविटी को मंच दिया है। एक्स (पूर्व ट्विटर) और थ्रेड्स जैसे माइक्रोब्लॉग्स से तो हर सेकंड लाखों विचार शेयर हो रहे हैं।
नई पीढ़ी की सोच का आईना है सोशल मीडिया
रिसर्च बताता है कि भारत के युवा आज सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव हैं। ये न केवल उनके विचारों और रचनात्मकता का जरिया है, बल्कि करियर, सामाजिक बदलाव और व्यक्तिगत पहचान का भी साधन बन गया है। हालांकि इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं, लेकिन सही इस्तेमाल सोशल मीडिया को एक वरदान में बदल सकता है।
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