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विभु मिश्रा
बिजनौर। उत्तर प्रदेश के बिजनौर के कोतवाली देहात थाने में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जिसने एक सजी-संवरी दुल्हन के सपनों को चकनाचूर कर दिया। जिस दिन उसे डोली में बैठकर पिया के घर जाना था, उसी दिन उसे थाने के चक्कर काटने पड़े। दहेज के दानवों ने एक बार फिर अपना घिनौना रूप दिखाया और खुशियों से भरे घर को मातम में बदल दिया। गुलफ़्शा परवीन, एक बेटी जिसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, उसकी शादी मोहम्मद सलमान से तय हुई थी। घर में शादी की रौनक़ थी, मढ़े का कार्यक्रम हो चुका था, और मेहंदी रचे हाथों में वह बारात का इंतजार कर रही थी। लेकिन बारात नहीं आई... कभी नहीं आई।
लालची दूल्हे की बढ़ती मांग
मामला बिजनौर के कोतवाली देहात क्षेत्र के एक गांव का है। दुल्हन के परिवार का आरोप है कि दूल्हा पक्ष लगातार अपनी मांगों को बढ़ाता रहा। पहले अपाचे बाइक मांगी, फिर बुलेट और अंत में उनकी आंखें एक महंगी कार पर टिक गईं। गुलफ़्शा का परिवार गरीब था, पिता का साया उठ चुका था, और उनके लिए इतनी बड़ी मांग पूरी करना असंभव था। उन्होंने इज्जत का वास्ता दिया, अपनी मजबूरी समझाई, लेकिन दहेज के लोभियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। जब लड़की पक्ष ने कार देने में असमर्थता जताई, तो दूल्हा पक्ष ने सारी मर्यादाएं लांघ दीं। उन्होंने न सिर्फ बारात लाने से साफ इनकार कर दिया, बल्कि फोन पर गंदी-गंदी गालियां दीं और धमकी दी कि अगर पुलिस में शिकायत की तो जान से मार देंगे।
सपने हुए चकनाचूर
जिस घर में शहनाई बजनी थी, वहां अब चीख-पुकार थी। 300 मेहमानों के लिए खाना बन चुका था, सजावट हो चुकी थी, रिश्तेदार पहुंच चुके थे। लेकिन बारात के नाम पर सिर्फ सन्नाटा पसरा रहा। गुलफ़्शा परवीन का परिवार सदमे में है। शादी पर लगभग 6 लाख रुपये खर्च हो चुके थे, जो उनके लिए एक बहुत बड़ी रकम थी। यह सिर्फ पैसों का नुकसान नहीं, बल्कि एक परिवार की इज़्ज़त और एक बेटी के सपनों का खंडहर है। यह घटना समाज में दहेज की गहरी जड़ों को दिखाती है, जहां रिश्तों की अहमियत खत्म हो जाती है और सिर्फ पैसों की चमक दिखाई देती है। गुलफ़्शा ने अब पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है, ताकि किसी और बेटी को ऐसी दर्दनाक स्थिति का सामना न करना पड़े।
Location:
India
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