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कुमुद मिश्रा
ओडिशा/पुरी। उत्सव की उमंग उस समय मातम में बदल गई, जब ओडिशा के पुरी में शनिवार सुबह भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा के दौरान भारी भीड़ में भगदड़ मच गई। हादसे में तीन श्रद्धालुओं की जान चली गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हुए। मृतकों में दो महिलाएं और एक बुजुर्ग पुरुष शामिल हैं, सभी ओडिशा के खोरदा जिले के रहने वाले बताए गए हैं।
हादसे का वक्त और स्थान
भगदड़ सुबह लगभग 4:30 बजे उस समय हुई जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के विशाल रथों को खींचते हुए लाखों श्रद्धालु गंडिचा मंदिर की ओर बढ़ रहे थे। जैसे ही रथ गंडिचा मंदिर के करीब पहुँचे, वहां मौजूद भारी भीड़ में धक्का-मुक्की शुरू हो गई। कुछ श्रद्धालु नीचे गिर गए, जिसके बाद भगदड़ फैल गई और जानलेवा रूप ले लिया।
भीड़ में मचा अफरा-तफरी, प्रशासन बेखबर
हादसे में जिन श्रद्धालुओं की मौत हुई, उनमें 42 वर्षीय प्रभाती दास, 36 वर्षीय बसंती साहू और 70 वर्षीय प्रेमकांत मोहंती शामिल हैं। ये सभी दर्शन के लिए पुरी आए थे। करीब 50 अन्य घायल हुए हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। हैरानी की बात यह है कि शुक्रवार को ही भगवान बलभद्र के रथ ‘तालध्वज’ के मोड़ पर अटकने की वजह से 600 से अधिक लोग धक्का-मुक्की में घायल हो चुके थे। इसके बावजूद सुरक्षा व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया।
क्यों बिगड़ा भक्तिभाव का संतुलन?
रथ यात्रा के दौरान भगवान के तीन रथों को बड़ी संख्या में श्रद्धालु खींचते हैं। इस बार भीड़ का आंकड़ा पिछले वर्षों की तुलना में लगभग डेढ़ गुना रहा। ग्रैंड रोड के मोड़ों पर रथों के रुकने और जगह की कमी ने स्थिति को और जटिल बना दिया। भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ मार्ग में रुक गए, जबकि भगवान जगन्नाथ का रथ सिंहद्वार से कुछ दूरी पर ही ठहर गया। इससे आस्था की लहर एक भयानक भीड़ प्रबंधन की चूक में बदल गई।
प्रशासन और राजनीति का पलटवार
घटना के बाद ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने दावा किया कि सभी धार्मिक अनुष्ठान समय पर संपन्न हुए। उन्होंने भीड़ बढ़ने की वजह अनुकूल मौसम और भक्तों की भारी मौजूदगी को बताया। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक समेत कई विपक्षी नेताओं ने घटना को प्रशासनिक विफलता करार दिया और उच्चस्तरीय जांच की मांग की। जिला कलेक्टर और राज्य पुलिस प्रमुख ने घटनास्थल का दौरा कर हालात की समीक्षा की है। मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की भी घोषणा की गई है।
जरूरी सवाल
- क्या इतनी बड़ी धार्मिक यात्रा के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात थे?
- क्या भीड़ की अनुमानित संख्या का पूर्व आंकलन हुआ था?
- क्या इमरजेंसी प्लान या निकासी मार्गों की तैयारी थी?
यह घटना न केवल एक दुखद हादसा है, बल्कि आने वाले समय में बड़े आयोजनों के लिए एक चेतावनी भी है।
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