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विभु मिश्रा
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन निवासी एक कैंसर पीड़ित ठेकेदार ने गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट को एक गंभीर शिकायत सौंपी है, जिसमें करोड़ों रुपये के सरकारी टेंडर में फर्जीवाड़े और 74.41 लाख रुपये की ठगी का सनसनीखेज आरोप लगाया गया है। शिकायतकर्ता नरेंद्र पाल सिंह ने आरोप लगाया है कि देहरादून स्थित फर्म ‘डिवाइन इंजीनियर्स’ की प्रोपराइटर साधना शर्मा, उनके सहयोगी अमित शर्मा और मैनेजर ऋषि कुमार ने सुनियोजित षड्यंत्र के तहत उनके दस्तावेजों का दुरुपयोग कर वन विभाग से 11.93 करोड़ रुपये का टेंडर हासिल किया।
फर्जी दस्तावेज, जाली सिग्नेचर से हड़पा टेंडर
पीड़ित नरेंद्र पाल की फर्म 'प्रतिभा ट्रेडर्स' केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में पंजीकृत है। आरोप है कि उपरोक्त तीनों आरोपियों ने स्टाम्प पेपर पर फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार कर, फर्जी हस्ताक्षर और जाली नोटरी के सहारे सरकारी टेंडर प्रक्रिया में प्रवेश किया। सरकारी कार्यालयों के फर्जी लेटरहेड, मोहरें और सीए-बैंक दस्तावेजों में हेराफेरी कर उत्तराखंड वन विभाग से करोड़ों की परियोजना झटक ली।
काम करवाया, पेमेंट नहीं दिया, मशीने भी कब्जाई
शिकायत के अनुसार, टेंडर प्राप्त करने के बाद साधना शर्मा ने पीड़ित की फर्म से दो भवनों के निर्माण के लिए अनुबंध किया, लेकिन 70% कार्य करवा लेने के बाद बिना कोई सूचना दिए काम रुकवा दिया गया। पीड़ित की साइट पर मौजूद मजदूर, मशीनरी और कंस्ट्रक्शन सामग्री को अपने कब्जे में लेकर, शेष कार्य खुद पूरा किया गया और वन विभाग से पूरा भुगतान भी ले लिया गया। लेकिन पीड़ित को उसके हिस्से की बकाया राशि 54.41 लाख, और लगभग 20 लाख की मशीनरी और सामग्री अब तक नहीं लौटाई गई।
फर्जी मुकद्दमें में फंसाने की धमकी
पीड़ित ने जब अपने भुगतान और दस्तावेजों के दुरुपयोग पर जवाब मांगा, तो उसे झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी गई। पीड़ित का कहना है कि उन्हें और उनके परिवार को शारीरिक क्षति पहुंचाने का भी डर बना हुआ है।
कैंसर से जूझ रहे नरेंद्र कर्ज में डूबे
इस पूरे मामले में सबसे दुखद पहलू यह है कि शिकायतकर्ता कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और इलाज में लाखों खर्च हो चुके हैं। अब वह आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट चुके हैं और कर्ज के बोझ में दबे हुए हैं।
कमिश्नर ने जांच नंदग्राम थाने को सौंपी
पीड़ित ने पुलिस कमिश्नर गाजियाबाद को विस्तृत दस्तावेजों के साथ शिकायत सौंपी है। मामले को जांच हेतु नंदग्राम थाना को सौंपा गया है। शिकायत में कई महत्वपूर्ण सबूत जैसे फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी, टेंडर समिति की रिपोर्ट, अनुबंध की प्रतिलिपि, भवन निर्माण के फोटो, मशीनरी सूची और मेडिकल रिपोर्ट भी संलग्न किए गए हैं।
पीड़ित की मांग
पीड़ित ने संबंधित आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र, जालसाजी, धमकी और संपत्ति की अवैध जब्ती जैसे गंभीर आरोपों में सुसंगत धाराओं के तहत कार्यवाही की मांग की है।
सभी आरोप झूठे और निराधार: अमित शर्मा
वहीं इस मामले में आरोपी डिवाइन इंजीनियर्स के अमित शर्मा ने नरेंद्र पाल सिंह द्वारा उन पर, उनकी पत्नी और कंपनी की प्रॉपराइटर साधना शर्मा और मैनेजर ऋषि कुमार पर लगाए गए आरोपों को बिल्कुल निराधार बताते हुए उन्हें नकार दिया। उनका कहना है कि नरेंद्र पाल सिंह की शिकायत पर वन विभाग द्वारा जांच की जा रही है। जांच में अगर वो दोषी साबित होते हैं तो जो भी कानूनी कार्रवाई होगी वो उन्हें स्वीकार है। दूसरा उनका कहना है कि वो रिकॉर्ड के आधार पर नरेंद्र पाल सिंह को उनके काम का पूरा पेमेंट कर चुके हैं। अगर उनके हिसाब से अब भी कोई बकाया निकलता है तो वो कागज दिखा दें, उनका बकाया भुगतान भी कर दिया जाएगा।
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