यमुना और हिंडन उफान पर: लोनी के गांवों में बाढ़, खेत-घर जलमग्न, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और बागपत पर भी खतरा
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| बाढ़ की चपेट में आए लोनी खादर के गांव |
विभु मिश्रा
गाजियाबाद। यमुना नदी का रौद्र रूप एक बार फिर गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और बागपत को अपनी चपेट में ले रहा है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के बाद हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से भारी मात्रा में पानी छोड़ा गया, जिसने यमुना के जलस्तर को खतरे के निशान के करीब पहुंचा दिया है। गाजियाबाद के निचले इलाकों में पानी का कहर साफ दिख रहा है। खेत जलमग्न, सड़कें डूबीं, और लोग दहशत में। यह खबर आपको ले चलती है यमुना के तांडव की उस कहानी में, जहां गाज़ियाबाद सबसे ज्यादा प्रभावित है, और आसपास के इलाके भी संकट की जद में हैं।
गाजियाबाद में यमुना का कहर
गाजियाबाद में यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। लोनी क्षेत्र में जलस्तर 211.70 मीटर तक पहुंच चुका है, जो खतरे के निशान से ऊपर है। बदरपुर और यमुना खादर जैसे इलाकों में पानी खेतों और निचली बस्तियों में घुस गया है। हथिनीकुंड बैराज से 19 अगस्त 2025 को 1,27,030 क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो अब गाज़ियाबाद के कई हिस्सों में पहुंच रहा है। लोनी के पछायरा गांव और आसपास के खेतों में पानी कीचड़ बनकर फैल गया है, जिससे सैकड़ों एकड़ फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। सड़कों पर पानी भरने से आवागमन ठप है, और कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ रहा है।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बढ़ता खतरा
नोएडा और ग्रेटर नोएडा के जेवर और रबूपुरा क्षेत्रों में भी यमुना का पानी खेतों तक पहुंच गया है। जेवर के कानीगढ़ी, गोविंदगढ़, पूरन नगर और झुप्पा जैसे गांवों में धान, बाजरा और सब्जियों की फसलें जलमग्न हैं। रबूपुरा के खेतों में पानी भरने से पशुओं के चारे का संकट गहरा गया है। नोएडा के फलाईदा खेड़ा और करौली बंगर में कुछ फार्महाउस भी डूबने के कगार पर हैं। प्रशासन ने इन क्षेत्रों में बाढ़ चौकियां स्थापित की हैं, लेकिन पानी का बढ़ता स्तर चिंता बढ़ा रहा है।
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| उफनती यमुना का रौद्र रूप |
बागपत में जलभराव की मार
बागपत के यमुना और हिंडन नदी के किनारे बसे खादर इलाकों में जलभराव ने हालात बिगाड़ दिए हैं। खेतों में पानी भरने से धान और गोभी की फसलें तबाह हो रही हैं। कुछ गांवों में पानी घरों की चौखट तक पहुंच गया है, जिससे लोग अपने सामान और मवेशियों को बचाने की जद्दोजहद में हैं। बागपत में बाढ़ नियंत्रण विभाग ने नावों की व्यवस्था की है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में राहत कार्यों की गति धीमी है।
किसानों की तबाही: फसलों पर संकट
यमुना के उफान ने किसानों की कमर तोड़ दी है। गाजियाबाद के लोनी और बदरपुर में सैकड़ों एकड़ धान, बाजरा और सब्जियों की फसलें पानी में डूब गई हैं। ग्रेटर नोएडा के जेवर में हजारों बीघा खेत जलमग्न हैं, जहां धान और पशु चारे की फसलें सड़ रही हैं। बागपत के खादर इलाकों में गोभी और अन्य सब्जियों की फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। गर्मी और नमी के कारण जलमग्न फसलों के सड़ने का खतरा बढ़ गया है, जिससे पशुओं के लिए चारे की कमी और गहरा रही है। यह नुकसान किसानों के लिए आर्थिक संकट का सबब बन रहा है।
प्रशासन की तैयारियां
प्रशासन ने बाढ़ के खतरे को देखते हुए कदम उठाए हैं। गाजियाबाद में यमुना और हिंडन के किनारे बसे 32 गांवों में अलर्ट जारी है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा में जेवर और रबूपुरा में पांच बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं, जिनमें प्राथमिक विद्यालय नेवला, झुप्पा और जनता इंटर कॉलेज जेवर शामिल हैं। बागपत में बाढ़ नियंत्रण कंट्रोल रूम सक्रिय है, और राहत-बचाव टीमें तैनात हैं। गाजियाबाद के उपजिलाधिकारी ने कहा, “हम हर घंटे जलस्तर पर नजर रख रहे हैं। नावें और राहत सामग्री तैयार है।” लोगों को नदी किनारे न जाने की सलाह दी गई है।
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| बाढ़ से प्रभावित महिला अपने अस्थाई टेंट को लगाते हुए |
यमुना की बाढ़: एक पुराना दर्द
यमुना का यह कहर कोई नया नहीं है। 2023 में यमुना का जलस्तर 208.66 मीटर तक पहुंचा था, जो 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ गया। गाजियाबाद के लोनी में 30 गांव प्रभावित हुए थे। 2019 में 8.28 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भारी नुकसान हुआ था। 1995 और 1996 की बाढ़ ने भी इस क्षेत्र को झकझोर दिया था। इन घटनाओं ने प्रशासन को बेहतर तैयारी के लिए मजबूर किया है, लेकिन क्या यह काफी है?
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