पुलिस मुठभेड़ में मारे गए 50 हजार के इनामी बलराम की मजिस्ट्रियल जांच शुरू

विभु मिश्रा
गाजियाबाद। 20 सितंबर को गाजियाबाद में हुई पुलिस मुठभेड़ में घायल होने के बाद इलाज के दौरान बदमाश बलराम की मौत हो गई थी। अब इस मामले में मजिस्ट्रियल जांच शुरू कर दी गई है। नगर मजिस्ट्रेट को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है और उन्होंने जनसामान्य से अपील की है कि यदि किसी के पास इस घटना से जुड़ी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जानकारी, फोटो, वीडियो या साक्ष्य हैं, तो वह 12 अक्टूबर तक प्रस्तुत कर सकता है।

मुठभेड़ में घायल होकर हुई मौत

जानकारी के अनुसार, 20 सितंबर 2025 को कमिश्नरेट गाजियाबाद की स्वाट टीम (क्राइम ब्रांच) और बदमाशों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस दौरान बुलंदशहर निवासी बलराम पुत्र श्याम सिंह गोली लगने से घायल हुआ। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस ने इस मामले में थाना वेबसिटी पर मुकदमा संख्या 0287/2025 दर्ज किया है। इसमें बीएनएस की धाराएं 109(1), 303(2), 317(2), 345(3), 3(5) और शस्त्र अधिनियम की धाराएं 3, 25, 27 लगाई गई हैं। मामला मृतक बलराम और उसके तीन अज्ञात साथियों के खिलाफ दर्ज किया गया है।
बलराम ठाकुर

मजिस्ट्रियल जांच की प्रक्रिया

डीसीपी ग्रामीण की संस्तुति और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निर्देशों के बाद जिलाधिकारी गाजियाबाद ने नगर मजिस्ट्रेट को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। नगर मजिस्ट्रेट ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि वह इस मुठभेड़ की मजिस्ट्रियल जांच कर रहे हैं। जांच के तहत प्रत्यक्षदर्शियों और अन्य लोगों के बयान दर्ज किए जाएंगे और सभी उपलब्ध साक्ष्यों का परीक्षण किया जाएगा।

आमजन से मांगी गई जानकारी

नगर मजिस्ट्रेट ने आम जनता से अपील की है कि जो भी व्यक्ति इस मुठभेड़ से संबंधित कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जानकारी, फोटो, ऑडियो, वीडियो या अन्य साक्ष्य रखते हैं, वे 28 सितंबर से 12 अक्टूबर के बीच अपना बयान दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए वे नगर मजिस्ट्रेट के मोबाइल नंबर 9415425932 पर संपर्क कर सकते हैं या कार्यदिवसों में कलेक्ट्रेट गाजियाबाद स्थित कार्यालय पहुंच सकते हैं।

पारदर्शिता पर जोर

अधिकारियों का कहना है कि इस मजिस्ट्रियल जांच का उद्देश्य पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाना है। मानवाधिकार आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक पुलिस मुठभेड़ों की स्वतंत्र जांच अनिवार्य है। इस जांच में आए सभी साक्ष्यों और गवाहों के बयानों के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।

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