रिवर हाइट्स सोसायटी: कोर्ट के आदेश पर मौजूदा एओए पर एफआईआर, जानिए किसकी शिकायत पर हुआ मुकद्दमा दर्ज...

वर्तमान एओए अध्यक्ष गौरव वर्मानी व अन्य पदाधिकारी 
विभु मिश्रा 
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन की रिवर हाइट्स सोसायटी अब जंग का खुला मैदान बन चुकी है। वर्तमान और पूर्व एओए पदाधिकारियों के बीच शुरू हुआ विवाद अब इस कदर बढ़ चुका है कि मामला सीधे कोर्ट-कचहरी और थाने तक पहुंच गया है। हाल ही में जहां वर्तमान एओए की सिफारिश पर डिप्टी रजिस्ट्रार ने सोसायटी के आठ साल के ऑडिट का आदेश जारी किया, वहीं दूसरी तरफ पूर्व एओए सचिव सुबोध त्यागी की शिकायत पर कोर्ट के आदेश के बाद नंदग्राम थाने में मौजूदा एओए के सभी पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। सुबोध त्यागी ने एओए पर सोसायटी को आर्थिक और प्रशासनिक रूप से बर्बाद करने, रिकॉर्ड गायब करने और मानसिक प्रताड़ना देने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।

एओए के सभी पदाधिकारी नामजद

एफआईआर में मौजूदा एओए के पूरे कार्यकारिणी मंडल को आरोपी बनाया गया है। इन पदाधिकारियों में अध्यक्ष गौरव वर्मानी, सचिव ऋतु चौधरी, उपाध्यक्ष ओमी निर्वाण, कोषाध्यक्ष अशोक शर्मा तथा सदस्य विक्रम रावत, आलोक शर्मा, जीतेन्द्र गौतम, शेखर आनंद, राजीव गर्ग, अनुजेश शर्मा और विष्णु कांत शामिल हैं। एफआईआर में पूर्व सचिव ने आरोप लगाया है कि एओए गठन के बाद सोसायटी के दस्तावेजों की जिम्मेदारी लेने के बजाय इन पदाधिकारियों ने न सिर्फ रिकॉर्ड संभालने में लापरवाही बरती बल्कि ऑफिस का कब्जा बदलते हुए कई महत्वपूर्ण फाइलें और मूल दस्तावेज हटवा दिए।

रिकॉर्ड गायब और फाइलों में गड़बड़ी का आरोप

सुबोध त्यागी, पूर्व एओए सचिव
पूर्व सचिव सुबोध त्यागी ने बताया कि 22 फरवरी 2025 के बाद कई बार एओए से सोसायटी का मूल रिकॉर्ड दिखाने और दस्तावेजों को निवासियों के बीच पारदर्शी तरीके से प्रस्तुत करने की मांग की। उनका आरोप है कि एओए ने पहले तो ऑफिस में रखे रिकॉर्ड को हटाया, फिर वीडियो रिकॉर्डिंग और सोशल प्लेटफॉर्म के जरिए उनकी छवि खराब करने की कोशिश की। 9 मार्च की बैठक में भी जब निवासियों ने दस्तावेज मांगे तो एओए ने स्पष्ट जवाब देने के बजाय रिकॉर्ड देने से बचने का प्रयास किया। सुबोध का कहना है कि 23 मार्च को हुई जीबीएम में भी एओए मूल रिकॉर्ड प्रस्तुत करने से पीछे हट गई और सोसायटी के महत्वपूर्ण कागजातों को लेकर लगातार गुमराही फैलाती रही।

सोसायटी के बंटाधार का आरोप

सुबोध त्यागी का कहना है कि मौजूदा एओए के कार्यकाल में सोसायटी का पूरा ढांचा चरमरा गया है। रिवर हाइट्स सोसायटी पर ढाई से तीन करोड़ रुपये तक का कर्ज लद चुका है। मेंटेनेंस स्टाफ को तीन-तीन महीने तक वेतन नहीं मिलता, जिससे लिफ्ट, सुरक्षा, सफाई और बिजली जैसी आवश्यक सेवाएं बार-बार ठप होने की कगार पर रहती हैं। उनका आरोप है कि आर्थिक कुप्रबंधन और फंड की बंदरबांट के कारण सोसायटी की वित्तीय स्थिति डांवाडोल हो चुकी है। उन्होंने कहा कि एओए न तो हिसाब देती है और न ही कोई रिकॉर्ड साझा करती है, जिससे वित्तीय अनियमितताओं पर संदेह और गहरा गया है।

धमकी और बदनामी का आरोप

सुबोध त्यागी ने बताया कि एओए पदाधिकारियों द्वारा उन्हें महीनों से लगातार मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। वीडियो रिकॉर्डिंग का गलत इस्तेमाल कर उनकी बदनामी की कोशिश की गई, सोसायटी के मुख्य द्वार पर उनके आवागमन में बाधा डाली गई और कई मौकों पर उन्हें धमकाया भी गया। सुबोध का आरोप है कि यह सब एक “सुनियोजित साजिश” के तहत किया गया ताकि सोसायटी से जुड़े महत्वपूर्ण रिकॉर्ड गायब होने और वित्तीय अनियमितताओं की सच्चाई सामने न आ सके। उन्होंने कहा कि यह व्यवहार न सिर्फ उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है, बल्कि सोसायटी जैसे सामुदायिक ढांचे के लिए भी गहरा आघात है। पूर्व सचिव ने कहा है कि आज पूरी सोसायटी वर्तमान एओए से दुखी है। ना उनकी समस्याएं सुनी जा रही हैं और ना ही उनका समाधान किया जा रहा है। सोसायटी को सिर्फ गंदी राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। 

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