गाजियाबाद: हरनंदीपुरम पर टकराव, गांवों में जीडीए अधिकारियों की एंट्री बैन

जीडीए के खिलाफ पंचायत करते ग्रामीण
विभु मिश्रा 
गाजियाबाद। हरनंदीपुरम आवासीय योजना को लेकर गाजियाबाद में तनाव खुलकर सामने आ गया है। जीडीए अधिकारियों पर किसानों, महिलाओं और बच्चों से अभद्रता व धमकी देने के आरोपों के बाद पांच गांवों के किसानों ने सख्त रुख अपनाते हुए गांवों में जीडीए अधिकारियों की एंट्री पूरी तरह प्रतिबंधित करने का फैसला किया है। पंचायत में साफ कहा गया कि जब तक दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक कोई समझौता नहीं होगा।

अभद्रता के आरोप

किसानों का आरोप है कि 20 दिसंबर को पंचायत की सूचना मिलते ही जीडीए अधिकारियों ने गांवों में दबाव बनाना शुरू कर दिया। खेतों में जाने से रोका गया, खनन के झूठे आरोप लगाए गए और बच्चों के साथ धक्का-मुक्की की गई। महिलाओं और बुजुर्गों से भी कथित तौर पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया। मौके पर जीडीए के ओएसडी राजीव, तहसीलदार विवेक मिश्रा और अन्य कर्मचारी मौजूद थे।

जेल भेजने की धमकी

किसानों के मुताबिक, ओएसडी ने जमीन को जीडीए की बताते हुए फोर्स बुलाकर जेल भेजने की धमकी दी। आरोप है कि किसानों को जबरन सरकारी वाहन में बैठाने की कोशिश भी की गई। हालात बिगड़ते देख गांव के वरिष्ठ किसानों ने बीच-बचाव कर अधिकारियों को वापस लौटने पर मजबूर किया।

पंचायत का फैसला

रविवार को हुई पंचायत में सर्वसम्मति से तय किया गया कि दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई तक किसी भी जीडीए अधिकारी को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा। युवा संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष दक्ष नागर ने चेतावनी दी कि महिलाओं और बच्चों से बदसलूकी बर्दाश्त नहीं होगी। किसान प्रतिनिधिमंडल जल्द ही जिलाधिकारी और पुलिस कमिश्नर से मिलकर शिकायत दर्ज कराएगा।

ये लोग रहे शामिल

अमित प्रधान (नंगला मोहनपुर) ने कहा कि ओएसडी और तहसीलदार को हटाए बिना आंदोलन समाप्त नहीं होगा। पंचायत की अध्यक्षता भल्ला चौधरी ने की और संचालन मनंतराम नागर ने किया। पंचायत में अजय चौधरी, कृष्ण पाल चौधरी, पप्पू प्रधान, इंद्रपाल चौधरी, एडवोकेट इंदरपाल, एडवोकेट विजय, के.के. त्यागी, मनोज पाल, राजू चौधरी, सूबे चौधरी, सचिन चौधरी, लखमी, वीर सिंह आर्य, राजेंद्र चौधरी, ओमवीर चौधरी सहित सैकड़ों किसान और युवा मौजूद रहे।

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