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विभु मिश्रा
मध्यप्रदेश। शहडोल जिले से सामने आए एक चौंकाने वाले मामले ने सरकारी सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। यहां एक हाई स्कूल में मात्र 4 लीटर पेंट से पुताई के लिए 168 मजदूर, 65 मिस्त्री और ₹1.06 लाख का हैरतअंगेज बिल पेश किया गया है, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस बिल को जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) ने मंजूरी भी दे दी थी, जिससे पूरे मामले पर सवाल खड़े हो गए हैं।
कैसे हुआ ये कारनामा?
शहडोल के ब्यौहारी ब्लॉक में स्थित एक स्कूल की पुताई के नाम पर यह भारी-भरकम राशि खर्च की गई। दस्तावेजों के मुताबिक, स्कूल में केवल 4 लीटर पेंट का इस्तेमाल किया गया, लेकिन उसके लिए मानव संसाधन की ऐसी फौज खड़ी कर दी गई जो किसी बड़ी इमारत को रंगने के लिए भी पर्याप्त होगी। 168 मजदूरों और 65 मिस्त्रियों की संख्या ने अधिकारियों की मिलीभगत और खुलेआम भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया है।
सोशल मीडिया पर हंगामा
यह चौंकाने वाला बिल सामने आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। लोगों ने इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं और इसे सरकारी पैसे की खुलेआम बर्बादी और भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बताया। वायरल पोस्ट में बिल की तस्वीरें भी साझा की गई हैं, जिससे इस "पेंट घोटाले" की विश्वसनीयता और बढ़ गई है। यह मामला अब केवल शहडोल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है।
जांच के घेरे में अधिकारी
इस गंभीर अनियमितता के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं। खासतौर पर, जिला शिक्षा अधिकारी की भूमिका संदिग्ध है, जिन्होंने इतनी बड़ी राशि के बिल को बिना किसी पड़ताल के मंजूरी दे दी। उम्मीद है कि इस मामले में उच्च स्तरीय जांच होगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में ऐसे घोटालों पर लगाम लगाई जा सके।
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