"या हुसैन" की गूंज के साथ 8 मुहर्रम पर निकला अलम-ए-मुबारक का मातमी जुलूस

विभु मिश्रा

गाजियाबाद। इस्लामी महीने मुहर्रम की 8वीं तारीख को गाजियाबाद के संजय नगर, सेक्टर 23 में अंजुमन-ए-अब्बासिया, राज नगर द्वारा इमाम हुसैन के भाई हज़रत अब्बास की याद में एक अज़ीम मातमी जुलूस निकाला गया। हर साल की तरह इस साल भी यह जुलूस अपने पारंपरिक उत्साह और अकीदत के साथ निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत की।

मातमी जुलूस का आगाज़ और मार्ग

यह अलम-ए-मुबारक का जुलूस रात करीब 8 बजे चित्रगुप्त विहार गली से शुरू हुआ। अंजुमन-ए-अब्बासिया के सदस्यों और अन्य अकीदतमंदों ने इसमें जोश और अकीदत के साथ हिस्सा लिया। जुलूस अपने निर्धारित मार्ग से होता हुआ इमामबाड़ा, मोहम्मदी हॉल, सेक्टर 23, संजय नगर पहुंचा। पूरे रास्ते "या हुसैन" और "या अब्बास" की सदाएं गूंजती रहीं, जो माहौल को और भी गमगीन बना रही थीं।

नौहा ख्वानी और सीना ज़नी

जुलूस के दौरान नौहा ख्वानी और सीना ज़नी की गई, जिसमें कर्बला के शहीदों की कुर्बानियों को याद किया गया। नौहा ख्वान हज़रत अब्बास की बहादुरी और वफ़ादारी का जिक्र करते हुए नौहे पढ़ रहे थे, जिससे उपस्थित जनसमूह की आंखें नम हो गईं। बच्चों ने भी बड़े उत्साह से अलम उठाए हुए थे, जो इस मातमी माहौल में एक विशेष दृश्य प्रस्तुत कर रहा था।

मौलाना कल्बे हस्नैन साहब की तकरीर

इमामबाड़ा, मोहम्मदी हॉल पहुंचने पर, मौलाना कल्बे हस्नैन साहब किबला ने तकरीर की। उन्होंने कर्बला की घटना, इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत, और हज़रत अब्बास की वफ़ादारी पर रोशनी डाली। उनकी तकरीर ने उपस्थित जनसमूह के दिलों में ग़म-ए-हुसैन को और गहरा कर दिया।

नज़र और तबार्रुक का वितरण

इस पाक मौके पर नज़र और तबार्रुक भी तकसीम किया गया। यह परंपरा कर्बला के शहीदों के सम्मान और उनकी याद में निभाई जाती है, जिससे लोगों को पुण्य कमाने और अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर मिलता है।




टिप्पणियाँ