इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने मजदूर को बना दिया करोड़पति ! भेजा 9 करोड़ का नोटिस...परिवार सदमे में


विभु मिश्रा

लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी ज़िले से एक ऐसी ख़बर सामने आई है, जिसने सरकारी तंत्र पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। यहाँ आयकर विभाग की एक चौंकाने वाली लापरवाही ने एक गरीब मज़दूर परिवार की ज़िंदगी में भूचाल ला दिया है। किराए की एक छोटी सी झोपड़ी में रहकर बमुश्किल गुज़ारा करने वाले सईद को 9 करोड़ रुपये से ज़्यादा के टर्नओवर वाली कंपनी का मालिक बताकर आयकर विभाग ने नोटिस भेज दिया है। यह अविश्वसनीय घटना सरकारी व्यवस्था की गंभीर खामियों और उससे आम जनता को होने वाली भयानक परेशानी को उजागर करती है।

मजदूरी करते सईद पर करोड़ों का बेतुका आरोप

यह चौंकाने वाला मामला लखीमपुर खीरी के खीरी टाउन कस्बा, मोहल्ला कटरा का है। सईद, जो पिछले 20 सालों से एक सेवानिवृत्त अध्यापक की ज़मीन पर झोपड़ी बनाकर रहते हैं, उन्हें आयकर विभाग ने करोड़ों का नोटिस थमा दिया है। विभाग का दावा है कि सईद एक ऐसी कंपनी के मालिक हैं जिसने महज़ एक साल में 9 करोड़ रुपये से ज़्यादा का व्यापार किया है। हक़ीक़त यह है कि सईद का जीवन दिहाड़ी मज़दूरी, शादियों में खाना बनाने और कभी-कभी रिक्शा चलाने से चलता है। उनकी मासिक आय इतनी भी नहीं कि वे दो वक्त की रोटी ठीक से जुटा सकें, ऐसे में 9 करोड़ के टर्नओवर का आरोप किसी मज़ाक से कम नहीं लगता।

KYC के नाम पर हुआ बड़ा धोखा?

सईद ने बताया कि कुछ समय पहले बैंक में KYC (अपने ग्राहक को जानें) प्रक्रिया के लिए उन्होंने अपना पैन कार्ड और आधार कार्ड जमा किया था। उन्हें डर है कि शायद इसी जानकारी का दुरुपयोग करके किसी धोखेबाज़ ने उनकी पहचान पर यह फ़र्ज़ी कंपनी खड़ी कर दी है। जब से यह बेतुका नोटिस उनके हाथ लगा है, सईद और उनकी पत्नी रज़िया की रातों की नींद और दिन का चैन छिन गया है। वे लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, अधिकारियों से अपनी बेगुनाही साबित करने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी शिकायत पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। यह धोखाधड़ी इस मेहनतकश परिवार को गहरे सदमे में धकेल चुकी है।

दो नोटिस और आर्थिक तंगी का दोहरा प्रहार

सईद की पत्नी रज़िया ने रोते हुए बताया कि उन्हें अब तक करोड़ों रुपये के ऐसे दो नोटिस मिल चुके हैं। वे पहले से ही भीषण आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे, और इस नोटिस ने तो उनके लिए एक निवाला खाना भी दूभर कर दिया है। जहाँ एक ओर वे ज़िंदगी की मूलभूत ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उन पर बिना किसी वजह के करोड़ों रुपये के कर बकाया का दबाव आ पड़ा है। यह स्थिति उस आम भारतीय की लाचारी को दर्शाती है, जो सरकारी तंत्र की बड़ी चूक या किसी धोखाधड़ी का शिकार होकर अपने ही देश में न्याय के लिए भटकने को मजबूर है। परिवार ने ज़िला प्रशासन से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जाँच और धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ़ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है, ताकि उन्हें इस अन्याय से मुक्ति मिल सके और उनका खोया हुआ सम्मान वापस मिल सके।




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