भारत-नेपाल मैत्री का साहित्यिक मिलन: गाजियाबाद के नागेंद्र त्रिपाठी 'नेपाल भारत मैत्री सम्मान' से विभूषित
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विभु मिश्रा
गाजियाबाद। नेपाल और भारत के साहित्यिक तथा सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने वाले 'चर्मण्वती साहित्य सम्मेलन' का सफल आयोजन हुआ। इस अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी में दोनों देशों के कवियों, लेखकों और कलाकारों ने हिस्सा लिया। गाजियाबाद के जाने-माने हिंदी साहित्यकार नागेंद्र त्रिपाठी को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए 'नेपाल भारत मैत्री सम्मान' से नवाजा गया, जो इस आयोजन का एक महत्वपूर्ण आकर्षण रहा।
सदियों पुरानी मित्रता का उद्घोष
सम्मेलन के पहले सत्र का उद्घाटन जिला अदालत बैतड़ी के माननीय न्यायाधीश तीर्थराज भट्ट ने किया, जिन्होंने भारत और नेपाल के सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों को भविष्य में भी अक्षुण्ण रखने पर जोर दिया। नेपाल संविधान सभा की सदस्य आनंदी पंत अनम ने भी भारत में अपनी शिक्षा और बचपन की स्मृतियों का जिक्र करते हुए दोनों देशों के बीच की हर दीवार को गिराने का आह्वान किया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में लोक कलाकारों और स्कूली बच्चों के नृत्य व गीतों ने सभी उपस्थित लोगों का मन मोह लिया।
'रोटी-बेटी' के रिश्ते की महत्ता
भारत के सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार नागेंद्र त्रिपाठी ने अपने संबोधन में भारत-नेपाल के 'रोटी और बेटी' के संबंध को त्रेता युग से चला आ रहा बताया। उन्होंने भगवान राम और माता सीता के विवाह का उदाहरण देते हुए कहा कि कैसे भारत आज नेपाल के लाखों लोगों को रोजगार और अवसर प्रदान कर रहा है। भारतीय सेना, बॉलीवुड और अन्य उद्योगों में नेपाल के लोगों की भागीदारी इस मजबूत रिश्ते का प्रमाण है। न्यायमूर्ति तीर्थराज भट्ट ने भी श्री त्रिपाठी के विचारों की सराहना की।
काव्य गोष्ठी और सम्मान समारोह
द्वितीय सत्र में आयोजित अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी में कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। इस अवसर पर नागेंद्र त्रिपाठी को उनके उत्कृष्ट काव्य पाठ के लिए नेपाल भारत मैत्री सम्मान से सम्मानित किया गया। डॉ. नारायणी भट्ट, आनंदी पंत, हेम बाबू लेखक, रमेश पंत मीत बंधु, कविराज भट्ट, जगदीश ओझा, साहिल दर्पण, आशुतोष त्रिपाठी, अमित कुमार शर्मा, खीमानंद बडू और करण तिवारी सहित कई अन्य कवियों को भी उनकी सराहनीय प्रस्तुति के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन नेपाल के प्रसिद्ध कवि रमेश पंत मीतबंधु ने किया।
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