यूपी के पूर्व कद्दावर मंत्री राजपाल त्यागी का निधन, छह बार विधायक और दो बार रहे मंत्री

विभु मिश्रा

गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश की राजनीति में चार दशक तक सक्रिय रहे और मुरादनगर विधानसभा से छह बार विधायक रह चुके वरिष्ठ नेता राजपाल त्यागी का बुधवार को निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे त्यागी ने गाजियाबाद स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन से न केवल मुरादनगर, बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में शोक की लहर दौड़ गई है। उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में याद किया जा रहा है जिन्होंने जनता के विश्वास के बल पर राजनीति की हर ऊंचाई छुई, चाहे वे किसी भी दल में रहे हों।

छात्र राजनीति से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

पूर्व मंत्री राजपाल त्यागी का जन्म गाजियाबाद जनपद के मुरादनगर क्षेत्र के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने छात्र राजनीति में सक्रिय भागीदारी शुरू कर दी थी।कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे पेशे से अधिवक्ता बने और गाजियाबाद अदालत में वकालत करने लगे। अपने तेज-तर्रार तर्कों और सामाजिक सरोकारों के लिए वे वकीलों और जनसामान्य में जल्दी ही लोकप्रिय हो गए।

जनता के भरोसे की मिसाल बने राजपाल त्यागी

राजपाल त्यागी का राजनीतिक सफर विशुद्ध जनाधार पर आधारित था। उनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत जिला कांग्रेस कमेटी, गाजियाबाद से हुई थी। यहां वे जिला कांग्रेस के उपाध्यक्ष के पद तक पहुंचे। उन्होंने समय-समय पर अलग-अलग दलों का दामन थामा, लेकिन हर बार जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखी।

विधायक रहे:

1980-1985 – विधायक, कांग्रेस

1989-1991 – विधायक, निर्दलीय

1991-1993 – विधायक, निर्दलीय

1996-2002 – विधायक, बसपा

2002-2007 – विधायक, समाजवादी पार्टी

2007-2012 – विधायक, समाजवादी पार्टी

मंत्री रहे:

1997-2002 – राज्यमंत्री (ऊर्जा विभाग), बसपा सरकार

2003-2007 – कैबिनेट मंत्री (वित्त व राजस्व), सपा सरकार

राजपाल त्यागी की सबसे बड़ी राजनीतिक विशेषता यह रही कि उन्होंने दो बार निर्दलीय चुनाव जीतकर यह साबित किया कि जनता का भरोसा ही उनकी असली ताकत थी, न कि कोई पार्टी प्लेटफॉर्म।

सादगी और बेबाकी के प्रतीक

राजपाल त्यागी अपने स्पष्ट विचारों, सादगीपूर्ण जीवनशैली और जनता से सीधे संवाद के लिए पहचाने जाते थे। उन्होंने सार्वजनिक मंचों से कई बार यह कहा कि उन्होंने कभी किसी भ्रष्ट अधिकारी, अपराधी या पूंजीपति से समझौता नहीं किया। उनकी जनसभाएं और विकास कार्यों की पहलें आज भी मुरादनगर की गलियों में याद की जाती हैं। कभी किसी बड़े राजनीतिक गुट का हिस्सा न बनकर, वे हमेशा जनता के नेता बने रहे।

दो बेटों में से एक वर्तमान विधायक


राजपाल त्यागी के दो पुत्र हैं। छोटे बेटे अजीत पाल त्यागी वर्तमान में भाजपा विधायक हैं, जो मुरादनगर सीट से लगातार दूसरी बार चुने गए हैं। वे वकालत के पेशे से भी जुड़े रहे हैं और वर्तमान में भाजपा में एक मजबूत क्षेत्रीय चेहरा माने जाते हैं।

बड़े बेटे गिरीश त्यागी राजनीति से दूर हैं, लेकिन वर्ष 2020 में अपने मामा नरेश त्यागी की हत्या के मामले में उन पर गंभीर आरोप लगे थे। इस घटना के बाद से वह सार्वजनिक जीवन से भी दूर हैं। 

शोक की लहर

राजपाल त्यागी के निधन की खबर मिलते ही उनके आवास पर लोगों का जमावड़ा लग गया। क्षेत्र के तमाम राजनेताओं, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों ने अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। "ऐसे नेता अब कम ही देखने को मिलते हैं"। यह वाक्य उनके कई पुराने समर्थकों की आंखों में आंसू और होंठों पर आभार के रूप में नजर आया।

विरासत और आगे की राजनीति

राजपाल त्यागी के निधन से मुरादनगर की राजनीति में एक खालीपन पैदा हो गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अजीत पाल त्यागी अपने पिता की राजनीतिक विरासत को सहेज कर आगे बढ़ा पाएंगे, या बदलती परिस्थितियां नई राह दिखाएंगी।एक बात तय है राजपाल त्यागी भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी सादगी, स्पष्टता और जनसेवा की विरासत लंबे समय तक याद की जाती रहेगी।





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