टप्पल में करोड़ों रुपए हड़प गया डिप्टी सीएम का खास आनंद सिंह नागर, खरीदारों को आज तक नहीं मिले पजेशन...देखें कुंडली

विभु मिश्रा

ग्रेटर नोएडा। आनंद सिंह नागर का समाजसेवी और गौ-प्रेमी होने का दावा उसके स्याह अतीत के सामने खोखला नजर आता है। उसके खिलाफ मुकदमों और आरोपों की फेहरिस्त काफी लंबी है, जो एक शातिर भू-माफिया की तस्वीर पेश करती है।

टप्पल में 'भू-माफिया' का कलंक

अलीगढ़ के टप्पल थाने में आनंद सिंह नागर और उसके भाई कुलदीप नागर के खिलाफ भू-माफिया के तौर पर मुकद्दमा दर्ज है। वहीं उनकी कंपनी 'चेरी बिल्डकॉन प्रा. लि.' ब्लैक लिस्टेड है। यह मामला जेवर एयरपोर्ट के नाम को भुनाने के लिए करीब आधा दर्जन प्रोजेक्ट लॉन्च कर अवैध रूप से कॉलोनियां काटने और जमीन की हेराफेरी से जुड़ा है। जिनमें मुख्य रूप से एरोज़ोना, नियो प्लॉट, चेरी फॉर्म्स, नियो फॉर्म्स, चेरी ईको फॉर्म्स और जैन विहार आदि प्रोजेक्ट आनंद सिंह नागर और उनके भाई कुलदीप नागर ने लॉन्च किए थे। जिसमें सिर्फ और सिर्फ ठगी का खेल खेला गया।

खरीदारों का आज तक नहीं मिला पजेशन

नागर के करीबी सूत्रों के अनुसार आज तक इन प्रोजेक्ट्स में प्लॉट खरीदने वाले अधिकांश लोगों को पजेशन नहीं मिला है जबकि वो नागर को पूरा भुगतान कर चुके हैं। और अभी तक वो नागर के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। इस ग्रुप का ठगी का आलम ये है कि जितनी जमीन इनके पास थी उससे ज्यादा बेच दी। और तो और उस जमीन की भी रजिस्ट्री अधिकारियों की मिलीभगत से कर दी जो आनंद सिंह नागर की कंपनी के नाम पर थी ही नहीं। टप्पल में चेरी बिल्डकॉन प्रा. लि. के नाम पर बेचे गए किसी भी प्रोजेक्ट में आज तक पोजेशन नहीं दिये गए है और ना ही अभी तक वहां कोई डेवलपमेंट किया गया है। 

YEIDA की कार्रवाई और मुकद्दमा

दिसंबर 2022 में यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण (YEIDA) ने जब अपने अधिसूचित क्षेत्र में अवैध निर्माणों के खिलाफ अभियान छेड़ा, तो 50 से अधिक बिल्डरों पर कार्रवाई की गई। इन बिल्डरों की सूची में चेरी बिल्डकॉन प्रा. लि. ग्रुप भी शामिल था, जिसके अवैध निर्माणों पर प्राधिकरण का बुलडोजर चला। यीडा ने इस मामले में कंपनी और नागर बंधुओं के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई हुई है। यह कार्रवाई इस बात का सबूत है कि नागर का कारोबार गैर-कानूनी नींव पर खड़ा था। और तो और सूत्रों के मुताबिक अलीगढ़ में आनंद सिंह नागर पर स्टाम्प चोरी के मुकद्दमें भी हैं जिसमें प्रशासन द्वारा आरसी भी काटी गई है।

कर्मचारियों का शोषण और वेतन की हेराफेरी

आनंद नागर की कार्यशैली पर केवल बाहरी लोग ही नहीं, बल्कि उसके अपने कर्मचारी भी सवाल उठा रहे हैं। JDS ग्रुप में काम करने वाले कई कर्मचारियों ने पुलिस और श्रम विभाग में शिकायतें दर्ज कराई हैं कि कंपनी उन्हें समय पर वेतन नहीं देती है। महीनों तक वेतन लटकाए रखना और कर्मचारियों का शोषण करना नागर की कंपनी की कार्यप्रणाली का हिस्सा बताया जाता है। यह दिखाता है कि जो व्यक्ति बाहर समाजसेवा का ढोंग करता है, वह अपने कर्मचारियों के प्रति कितनी कम जिम्मेदारी रखता है।

इन मुकदमों और आरोपों से साफ है कि आनंद नागर कोई समाजसेवी नहीं, बल्कि एक ऐसा शातिर खिलाड़ी है जो सत्ता की नजदीकियों का फायदा उठाकर, कानूनी दांव-पेंचों का इस्तेमाल कर और अधिकारियों की मिलीभगत से अपने आर्थिक साम्राज्य को लगातार खड़ा करता जा रहा है। 

अगले पड़ाव में करेंगे आनंद सिंह नागर के काले कारनामों के कुछ और खुलासे। नहीं करना होगा ज्यादा इंतजार। 






टिप्पणियाँ