केडब्ल्यू सृष्टि मॉल का ज़हरीला खेल: एनजीटी को ठेंगा, राजनगर रेजीडेंसी को मौत का धुआं!

 

विभु मिश्रा

गाजियाबाद। राजनगर रेजीडेंसी के निवासियों का जीवन केडब्ल्यू सृष्टि मॉल के डीजल जनरेटरों से निकलने वाले जहरीले धुएं के कारण दूभर हो गया है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के दिल्ली-एनसीआर में डीजल जनरेटरों पर प्रतिबंध के स्पष्ट आदेशों के बावजूद, मॉल प्रबंधन धड़ल्ले से इनका संचालन कर रहा है। मॉल प्रबंधन की मनमानी और स्थानीय प्रशासन की चौंकाने वाली निष्क्रियता ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है, जिससे सैकड़ों परिवारों की सांसों पर संकट मंडरा रहा है। निवासियों का आरोप है कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद, अधिकारी मॉल के प्रति नरमी बरत रहे हैं, जिससे उनकी पीड़ा बढ़ती जा रही है और एनजीटी के आदेशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।

आदेशों की अनदेखी और ज़हरीले धुएं से घुटा दम

सोसायटी निवासी विपिन बताते हैं कि बिजली जाने पर मॉल संचालक धड़ल्ले से जनरेटर चलाते हैं, जो सीधे तौर पर एनजीटी के दिल्ली-एनसीआर में डीजल जनरेटरों पर प्रतिबंध के आदेशों का उल्लंघन है। इन जनरेटरों की चिमनियों से निकलने वाला काला और तीव्र गंध वाला धुआं सीधे उनकी बालकनियों में घुसकर जमा हो जाता है। "हमें सांस लेने में दिक्कत होने लगी है," विपिन कहते हैं। यह ज़हरीला धुआं विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहद हानिकारक साबित हो रहा है। आलोक गौड़ जैसे कई निवासी प्रतिदिन इस प्रदूषण से जूझ रहे हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

मॉल प्रबंधन की मनमानी, प्रशासन बेपरवाह

निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार मॉल के जीएम को पत्र लिखकर और संबंधित अधिकारियों को सूचित कर इस समस्या से अवगत कराया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। यह प्रशासन की घोर लापरवाही को दर्शाता है, जो निवासियों की शिकायतों को अनदेखा कर मॉल संचालकों को मनमानी करने की छूट दे रहा है और एनजीटी के आदेशों को भी नजरअंदाज कर रहा है। सुनील कुमार शर्मा, जो एफ ब्लॉक में 11वीं मंजिल पर रहते हैं, बताते हैं कि बदबूदार धुएं के कारण उनका जीना मुश्किल हो गया है। मॉल प्रबंधन की ओर से मैनेजर अभिनव शुक्ला ने एक हफ्ते में स्थायी समाधान का आश्वासन तो दिया है, लेकिन ऐसे आश्वासन पहले भी कई बार दिए जा चुके हैं, जिन पर कभी अमल नहीं हुआ। यह मॉल प्रबंधन की संवेदनहीनता और टालमटोल की नीति को स्पष्ट करता है, जो कानून और जनहित दोनों की अनदेखी कर रहा है।

स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा और बढ़ता आक्रोश

इस ज़हरीले धुएं से निवासियों में फेफड़ों की बीमारियाँ, एलर्जी और अन्य श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। यह स्थिति न केवल उनके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रही है, बल्कि उनके भविष्य के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर रही है। राजनगर रेजीडेंसी के निवासी अब इस बात पर विचार कर रहे हैं कि यदि प्रशासन ने जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया और एनजीटी के आदेशों का पालन सुनिश्चित नहीं किया, तो उन्हें विरोध प्रदर्शन करने और कानूनी सहारा लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। उनकी मांग है कि मॉल में जनरेटरों के संचालन को तुरंत बंद किया जाए या वैकल्पिक, पर्यावरण-अनुकूल ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जाए, ताकि वे स्वच्छ हवा में सांस ले सकें।




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