डूब क्षेत्र की ज़मीन पर अरबों का खेल: 'एरो विलेज' प्रोजेक्ट बना लूट का अड्डा, डिप्टी सीएम के करीबी का कारनामा!
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विभु मिश्रा
ग्रेटर नोएडा। सत्ता की छत्रछाया, अफसरों की अनदेखी और गौसेवा की आड़ में एक ऐसा खेल रचा गया है जो किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। 'एरो विलेज' नाम का एक तथाकथित फार्महाउस प्रोजेक्ट असल में ग्रेटर नोएडा की डूब क्षेत्र की 800 बीघा ज़मीन पर बसा एक अवैध साम्राज्य बन चुका है। इस घोटाले का मुख्य किरदार है आनंद सिंह नागर, जो उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के साथ तस्वीरें दिखाकर प्रभाव जमाता है और ज़मीन खरीददारों को सुरक्षा का झूठा भरोसा देता है।
नियमों को रौंदता 'एरो विलेज'
इस डूब क्षेत्र की ज़मीन को 2010 में सिंचाई विभाग ने केवल खेती के उद्देश्य से NOC दी थी। उस शर्त में साफ लिखा था कि यहां एक भी पक्की ईंट नहीं रखी जा सकती, लेकिन हकीकत उलटी है। आज वहां फार्महाउस, स्विमिंग पूल, चौड़ी सड़कें, स्ट्रीट लाइट और गेटेड बाउंड्री खड़ी हो चुकी है। साइट पर जाकर देखा जाए तो कई निर्माणाधीन फार्महाउस, पक्के मकान और लेवलिंग का खुला खेल जारी है।
सस्ती खरीद, महंगी बिक्री, मोटा मुनाफा!
आनंद सिंह नागर ने इस डूब क्षेत्र की ज़मीन को मात्र 7 से 8 लाख रुपये प्रति बीघा की दर से खरीदा और अब इसे आम जनता को 10,000 रुपये प्रति गज तक में बेच रहा है। जब रिपोर्टर ने ग्राहक बनकर बातचीत की तो नागर ने खुद खुलासा किया कि-
फार्महाउस वाली ज़मीन की रजिस्ट्री दर 19.50 लाख रुपये प्रति बीघा तो साधारण कृषि ज़मीन की दर 11.25 लाख रुपये प्रति बीघा है। बाकी की रकम सीधा नकद, बिना रसीद यानि काले धन का खुला लेन-देन।
अधिकारी मौन, बिल्डर की छाती चौड़ी
आनंद सिंह नागर खुलेआम दावा कर रहा है कि उसकी 70% ज़मीन बिक चुकी है और बाकी भी 15 अगस्त से पहले बिक जाएगी। जब उससे पूछा गया कि डूब क्षेत्र में निर्माण पर कोई दिक्कत नहीं आएगी, तो नगर का कहना है कि कोई दिक्कत नहीं आएगी, आप बेफिक्र बनवाइए, सब सेट है।
इससे साफ है कि प्रशासनिक महकमे भी इस खेल में शामिल हैं या जानबूझकर आँखें मूंदे बैठे हैं। आनंद के साथ-साथ रहमान और कुलदीप नामक दो और साथी भी इस खेल में शामिल हैं जिनका नाम खुद नागर ने बताया।
अगली कड़ी में खुलेंगे और राज़…
यह तो सिर्फ झलक है! जल्द ही हम लाएंगे इस तथाकथित गौसेवक आनंद सिंह नागर के काले साम्राज्य की अगली परत-
- किस थाने में हैं आपराधिक मामले।
- कहां-कहां फैला है जाल।
- और कैसे गौसेवा और समाजसेवा के नाम पर जनता को ठगा जा रहा है।
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