ऋचा सूद का जलवा बरकरार: श्रीलंका में फिर जीता सोना!

विभु मिश्रा

गाजियाबाद। भारत की एथलेटिक्स सनसनी, डॉ. ऋचा सूद, जिन्हें प्यार से 'स्वर्ण परी' कहा जाता है, ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। 5 जुलाई, 2025 को श्रीलंका के महिंद्रा राजपक्षे स्टेडियम में आयोजित 38वीं श्रीलंका मास्टर्स अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक चैंपियनशिप में उन्होंने डिस्कस थ्रो में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किया। यह जीत न केवल उनकी निरंतर उत्कृष्टता को दर्शाती है, बल्कि भारत के लिए भी एक गर्व का क्षण है।

लगातार दूसरी बार स्वर्ण पदक पर कब्जा

डॉ. ऋचा सूद की यह उपलब्धि और भी खास है क्योंकि यह लगातार दूसरी बार है जब उन्होंने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता है। तीन देशों - भारत, श्रीलंका और पाकिस्तान - के 1012 एथलीटों के बीच आयोजित इस बेहद प्रतिस्पर्धी प्रतियोगिता में, ऋचा ने पिछले साल की विजेता को 2 मीटर की प्रभावशाली बढ़त से हराकर अपनी श्रेष्ठता साबित की। यह प्रदर्शन उनकी कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और एथलेटिक्स के प्रति उनके अटूट जुनून का प्रमाण है।

प्रतिस्पर्धा में शीर्ष पर

इस रोमांचक मुकाबले में श्रीलंका की दीपानी पेरिस ने रजत पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, जबकि श्रीलंका की सूरीजी ने कांस्य पदक पर कब्जा किया। इन मजबूत प्रतिद्वंद्वियों के बावजूद, डॉ. ऋचा सूद का प्रदर्शन असाधारण रहा, जिसने उन्हें पोडियम के शीर्ष पर पहुँचाया। उनकी इस जीत ने अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स समुदाय में भारत का नाम ऊंचा किया है और भविष्य में भी उनसे इसी तरह के शानदार प्रदर्शन की उम्मीदें बढ़ाई हैं।

प्रेरणा का स्रोत

डॉ. ऋचा सूद की यह लगातार जीत न केवल उनके व्यक्तिगत समर्पण और प्रतिभा का परिणाम है, बल्कि यह देश के युवा एथलीटों के लिए भी एक बड़ी प्रेरणा है। उनकी कहानी दर्शाती है कि कड़ी मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन के साथ कोई भी अपने सपनों को साकार कर सकता है। 'स्वर्ण परी' ऋचा सूद वास्तव में भारत की खेल भावना और दृढ़ता का प्रतीक हैं।




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