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दीपांकर तिवारी
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर योजना आम लोगों के लिए सुविधा के बजाय परेशानी का सबब बन गई है। गाजियाबाद के कई इलाकों में उपभोक्ता महीनों से बिजली बिल के इंतज़ार में हैं, वहीं कई जगहों पर मीटर लगाने में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। मीटर कंपनी की मनमानी, विभागीय मिलीभगत और उपभोक्ता हितों की अनदेखी ने लोगों को गहरे संकट में डाल दिया है।
महीनों से नहीं आए बिल, उपभोक्ता परेशान
गाजियाबाद के विजयनगर, प्रताप विहार और सिद्धार्थ विहार जैसे इलाकों में हजारों उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर लगने के बाद से छह से सात महीनों तक बिजली बिल नहीं मिला है। अब अचानक एकमुश्त भारी-भरकम बिल थमाया जा रहा है, जिससे आम आदमी का बजट गड़बड़ा गया है। उपभोक्ताओं का कहना है कि इतनी बड़ी राशि का भुगतान एक साथ करना उनके लिए नामुमकिन है। उन्हें न तो पहले बिल दिए गए और न ही किसी अधिकारी ने स्थिति स्पष्ट की।
मीटर लगाने में मनमानी, कई घर अब भी बचे
स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी के कर्मचारियों पर मनमानी के आरोप लग रहे हैं। सिद्धार्थ विहार की ईडब्ल्यूएस और एलआईजी कॉलोनियों में एक ब्लॉक में 16 फ्लैट हैं, लेकिन केवल 6 में ही मीटर लगाए गए हैं। बाकी 10 परिवार अब भी पुराने सिस्टम पर निर्भर हैं। उपभोक्ता पूछते हैं कि आखिर चयन का मापदंड क्या है? विभाग के अधिकारी इस पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे रहे।
बिजली चोरी पर मौन, दलालों की सक्रियता बढ़ी
प्रताप विहार और सिद्धार्थ विहार जैसे क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइट के खंभों से अवैध तरीके से बिजली लेकर रात में कबाड़ी, ठेले और दुकानें चलाई जा रही हैं। यह सब उपखंड अधिकारी, जेई और लाइनमैन की जानकारी में होते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती। वहीं, बिजली कनेक्शन के नाम पर स्टांप पेपर पर एग्रीमेंट करवा कर लोगों से पैसे वसूले जा रहे हैं। मकान की रजिस्ट्री न होने पर आम आदमी को कनेक्शन नहीं मिलता, लेकिन दलालों के ज़रिए बिना दस्तावेज़ के कनेक्शन आसानी से दिए जा रहे हैं।
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