धोनी बनाम सुधीर चौधरी: ₹100 करोड़ मानहानि केस में 11 साल बाद ट्रायल शुरू, दो चैनल और पूर्व IPS भी घेरे में

सूर्या चतुर्वेदी

चेन्नई। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का 100 करोड़ रुपये का मानहानि केस 11 साल बाद आखिरकार ट्रायल तक पहुंच गया है। मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार, 11 अगस्त को इस बहुचर्चित मामले की सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया और धोनी की गवाही दर्ज करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर दिया।

धोनी ने 2014 में ज़ी मीडिया (तत्कालीन संपादक सुधीर चौधरी), न्यूज़ नेशन नेटवर्क और पूर्व आईपीएस अधिकारी जी. संपत कुमार के खिलाफ यह केस दायर किया था। आरोप है कि 2013 के आईपीएल सट्टेबाज़ी और स्पॉट फिक्सिंग घोटाले में उनका नाम झूठा जोड़कर उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया गया।

कैसे जुड़ा विवाद

2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाज़ी मामले की जांच के दौरान कुछ चैनलों और अधिकारियों ने धोनी का नाम घोटाले से जोड़कर सनसनी फैलाई थी। धोनी का कहना है कि यह बेबुनियाद था और इससे उनके फैंस के बीच उनकी छवि को गहरा धक्का लगा। इसी वजह से उन्होंने ₹100 करोड़ हर्जाने की मांग करते हुए मानहानि का केस दायर किया।

कोर्ट का ताज़ा आदेश

जस्टिस सी.वी. कार्तिकेयन ने निर्देश दिया कि धोनी की गवाही चेन्नई में एक सुरक्षित जगह पर 20 अक्टूबर से 25 दिसंबर के बीच रिकॉर्ड की जाए। अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति इसलिए की, ताकि हाईकोर्ट में सीधे धोनी की मौजूदगी से होने वाली भीड़भाड़ और अफरा-तफरी से बचा जा सके।

धोनी का रुख

धोनी की ओर से वरिष्ठ वकील पी.आर. रमन ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि पूर्व कप्तान पूछताछ और जिरह के लिए इस अवधि में उपलब्ध रहेंगे। उनका कहना है कि वे खुद चाहते हैं कि केस में अब और देरी न हो, क्योंकि बचाव पक्ष की ओर से लगातार सुनवाई टलती रही है।


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