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विभु मिश्रा
उत्तराखंड। उत्तरकाशी में मंगलवार को हुए बादल फटने की घटना के बाद, धराली गांव में राहत और बचाव कार्य जारी है। बुधवार को भी भारी बारिश के कारण स्थिति और गंभीर हो गई है। खीर गंगा नदी में आई विनाशकारी बाढ़ में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 11 सैनिकों सहित 60 से अधिक लोग अब भी लापता हैं। भारतीय सेना, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें लगातार बचाव कार्यों में जुटी हैं, लेकिन भूस्खलन और सड़कों के टूट जाने से इन प्रयासों में काफी बाधा आ रही है।
बचाव कार्यों में मुश्किलें
भटवारी में मुख्य सड़क के टूट जाने से बचाव दल भी बुरी तरह फंस गए हैं। यह सड़क बह जाने से एंबुलेंस और राहत टीमें घटनास्थल तक नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे घायलों और लापता लोगों तक पहुंचने में भारी दिक्कत हो रही है। इस आपदा में धराली गांव का एक बड़ा हिस्सा मलबे और कीचड़ में दब गया है। कई मकान और होटल ताश के पत्तों की तरह ढह गए हैं। भारतीय सेना ने लापता लोगों की तलाश के लिए एमआई-17 और चिनूक हेलीकॉप्टरों को तैनात किया है, लेकिन खराब मौसम और लगातार बारिश के कारण हवाई मदद में भी मुश्किलें आ रही हैं।
नदियों का जलस्तर बढ़ा, यात्रा रुकी
उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश ने हालात और खराब कर दिए हैं। अलकनंदा और भागीरथी जैसी प्रमुख नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों में पिछले 17 घंटों से हो रही बारिश ने भूस्खलन की घटनाओं को बढ़ा दिया है। धरासू में भी भूस्खलन के कारण एक सड़क बंद हो गई है। इन बिगड़ते हालात को देखते हुए प्रशासन ने एहतियात के तौर पर केदारनाथ यात्रा को भी अस्थायी रूप से रोक दिया है और तीर्थयात्रियों से सुरक्षित स्थानों पर ही रहने का आग्रह किया है।
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