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गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन की सोसायटियों में आए दिन विवाद सामने आते रहते हैं, और अब इसी कड़ी में गुलमोहर गार्डन का नाम भी जुड़ गया है। यहां AOA में अध्यक्ष पद को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। एक तरफ हैं तीसरी बार चुने गए अध्यक्ष अभिषेक पांडे और दूसरी तरफ है नई कार्यकारिणी, जिसने उन्हें पद से हटाकर एक मामूली 'ऑफिस बेयरर' बना दिया है। इस पूरे मामले ने सोसाइटी का माहौल गरमा दिया है और अब ये लड़ाई सोसाइटी के व्हाट्सएप ग्रुप पर सबके सामने आ गई है।
क्या है विवाद का कारण
नई कार्यकारिणी ने अभिषेक पांडे की गैरमौजूदगी में हुई एक बैठक में उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने का बड़ा फैसला लिया। इतना ही नहीं, उन्हें अध्यक्ष पद से हटाकर सबसे निचले पद 'ऑफिस बेयरर' पर बिठा दिया गया। उनकी जगह राहुल सिंह को नया अध्यक्ष बना दिया गया है। कार्यकारिणी ने अभिषेक पांडे पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं, जिसके बाद सोसाइटी के भीतर गहमागहमी बढ़ गई है।
कार्यकारिणी का वॉट्सएप संदेश
नई कार्यकारिणी ने इस फैसले के बाद सोसाइटी के ऑफिशियल वॉट्सएप ग्रुप पर एक लंबा मैसेज भेजा, जिसमें उन्होंने अपने कदम को सही ठहराया। ग्रुप पर लिखे मैसेज में कहा गया है-
"सभी सम्माननीय सदस्यों को सादर नमस्कार !
जैसा कि हम सभी जानते हैं, जब हम एक टीम के रूप में कार्य करते हैं, तो विचारों का आदान-प्रदान और प्रश्न उठना स्वाभाविक है। परंतु यदि इन प्रश्नों का उद्देश्य केवल पद प्राप्त करना हो, तो यह हमारी मूल भावना,पारदर्शिता और समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने की सोच से भटकाव का कारण बनता है।
हमारी कार्यकारिणी एकजुट होकर एक मिशन के तहत कार्य कर रही है, एक स्वस्थ, समृद्ध और पारदर्शी सोसाइटी की स्थापना के लिए प्रयासरत है। लेकिन दुर्भाग्यवश, कुछ लोग बिना चुनाव लड़े अथवा बिना वैधानिक अधिकार के, षड्यंत्र और भ्रम फैलाकर पदों पर बने रहने का प्रयास करते हैं। यह न केवल संस्था की गरिमा को ठेस पहुँचाता है, बल्कि निवासियों के विश्वास को भी कमजोर करता है।
हम आपको यह भी स्मरण कराना चाहते हैं कि 'एक पद पर दो वर्ष' का सिद्धांत लागू है। यह भी स्पष्ट है कि कार्यवाहक (Acting) के रूप में संभाला गया समय इस अवधि में सम्मिलित नहीं किया जाता। इसलिए हमें पद की लालसा अथवा विवादों से दूर रहकर सोसाइटी के समग्र उत्थान की दिशा में कार्य करना चाहिए।
इन्हीं विचारों के मद्देनज़र, बोर्ड ने सर्वसम्मति से पदों में आवश्यक परिवर्तन करने का निर्णय लिया है। सोसाइटी की नई कार्यकारिणी इस प्रकार है:
* श्री राहुल सिंह : अध्यक्ष
* श्री प्रियांक ठाकुर : उपाध्यक्ष
* श्री रवि ओझा: महासचिव
* श्री हिमांशु त्यागी: सह-सचिव
* श्रीमती शकुन सिंह: कोषाध्यक्ष
* श्री अंकित कुमार सैनी: सह-कोषाध्यक्ष
* श्री उमा शंकर कश्यप: ऑफिस बेयरर
* श्री अभिषेक पांडेय: ऑफिस बेयरर
* श्री मुकेश भटनागर: ऑफिस बेयरर
* श्रीमती मोनिका यादव: ऑफिस बेयरर
सभी नए पदाधिकारियों को हार्दिक शुभकामनाएं और आप सभी से अनुरोध करते हैं कि आप इस नई कार्यकारिणी को अपना बहुमूल्य सहयोग और समर्थन सदैव देते रहे और सोसाइटी के सतत विकास एवं सामूहिक कल्याण में अपनी सक्रिय योगदान देते रहे।
आपका सहयोग ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।
नोट: कार्यकारणी जल्द ही बोर्ड में हुए परिवर्तन की जानकारी देने के लिए आम सभा बुलाएगी।
सादर,🙏🏻
AOA कार्यकारिणी, गुलमोहर गार्डन"
अभिषेक पांडे का जवाब
कार्यकारिणी के इस संदेश के बाद हटाए गए अध्यक्ष अभिषेक पांडे ने भी इसी ग्रुप पर अपनी बात रखी। उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों पर पलटवार किया। उन्होंने लिखा है-
"श्री रवि ओझा जी
आपके एक बिंदु से बहुत आहात हुआ कि जानबूझकर मै मीटिंग में नहीं आया। 02/08/2025 को बोर्ड की बैठक बुलाई गई। सोसाइटी के कार्यों को करने के लिए एक प्रोजेक्शन रिपोर्ट पे चर्चा हुई। श्री उमा जी के द्वारा पुनः एक मीटिंग बुलाई गई 03/08/2025 जिसमें मै नहीं आया। ऐसी क्या मज़बूरी और इतनी बड़ी जिम्मेदारी एक रात में आ गई कि बिना मेरी मौजूदगी के आप सबने इतना बड़ा निर्णय ले लिया। जब से सोसाइटी के कार्यों और सेवा के लिए जुड़ा हूं, 365 दिन में 350 दिन सोसाइटी के हर मुद्दे में हाजिर रहा हूं और कर्तव्यों का पालन किया है। लेकिन आपके इस शब्द से बहुत आहात हूं और शर्मिंदा भी हूं।
आप तो बहुत पहले इस्तीफा दे दिए थे लेकिन उसके लिए भी डट कर खड़ा रहा आपके साथ उसे स्वीकार नहीं होने दिया।
धन्यवाद
अध्यक्ष
गुलमोहर गार्डन"
आम सभा में होगा 'फाइनल'
AOA की यह अंदरूनी लड़ाई अब खुले तौर पर व्हाट्सएप ग्रुप पर लड़ी जा रही है। इस विवाद को देखते हुए आगामी 10 अगस्त को एक आम सभा बुलाई गई है, जिसके हंगामेदार होने की पूरी आशंका है। अब देखना यह है कि इस 'महाभारत' में जीत किसकी होगी।
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टिप्पणियाँ


चुनें हुए प्रतिनिधि ही अपना अध्यक्ष तथा अन्य पदाधिकारी चुनते है । जीबीएम के कार्य छेत्र में यह नहीं आता । साथ ही कोई कोई भी प्रतिनिधि एक पद पर लगातार दो वर्ष से अधिक नहीं रह सकता ।
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