आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला: राजनगर एक्सटेंशन में फूट, कोई खुश तो कोई नाराज़

विभु मिश्रा

गाजियाबाद। आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने एक बार फिर बहस छेड़ दी है, और इसका असर गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में भी दिख रहा है। फ्लैट ओनर्स फेडरेशन (FOF) की स्थानीय इकाई के पदाधिकारियों में इस मुद्दे पर मतभेद साफ़ नज़र आ रहा है, जहाँ कुछ लोग इस निर्णय को सराह रहे हैं, वहीं कुछ इसकी व्यावहारिकता और प्रभावशीलता पर सवाल उठा रहे हैं।

स्थानीय निकाय की जिम्मेदारी बढ़ी: राजकुमार त्यागी

FOF, राजनगर एक्सटेंशन के अध्यक्ष राजकुमार त्यागी का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी को बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि कुत्तों को सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और मादा कुत्तों के बधियाकरण (sterilization) को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

डॉग लवर्स के व्यवहार पर संदेह: कैप्टन गोपाल सिंह


महासचिव कैप्टन गोपाल सिंह ने कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए इसे प्रशंसनीय बताया, विशेषकर शेल्टर होम्स बनाने और कुत्तों को कहीं भी खाना न खिलाने की बात पर। हालांकि, उन्होंने तथाकथित डॉग लवर्स के रवैये पर संदेह जताया। उनका कहना है कि यह देखना बाकी है कि क्या वे इन नियमों का पालन करेंगे या अपनी पुरानी आदतों पर अड़े रहेंगे। उन्होंने पशु कल्याण के नियमों में और संशोधन की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

​धरातल पर क्रियान्वयन की चुनौती: मनोज अग्रवाल

मीडिया प्रभारी और वरिष्ठ समाजसेवी मनोज अग्रवाल इस फैसले को लेकर आशंकित हैं। उनके अनुसार, यह कहना अभी मुश्किल है कि क्या यह निर्णय आवारा कुत्तों से होने वाली घटनाओं को कम कर पाएगा। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला जमीनी स्तर पर कैसे लागू होगा, और उनका मानना है कि यह समस्या फिलहाल जस की तस बनी रहेगी।

मानवीय और संतुलित समाधान: डॉ. नीतिका शुक्ला

इसके विपरीत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. नीतिका शुक्ला इस फैसले की सराहना करती हैं। उनके अनुसार, यह निर्णय समाज की सुरक्षा, स्वास्थ्य और पशु अधिकारों के बीच एक "सुंदर संतुलन" स्थापित करता है। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने स्टरलाइज्ड और वैक्सीनेटेड कुत्तों को उनके क्षेत्र में छोड़ने, आक्रामक कुत्तों को शेल्टर में रखने और निर्धारित फीडिंग जोन बनाने का निर्देश दिया है। उन्होंने इसे एक वैज्ञानिक और मानवीय दृष्टिकोण बताया, जिससे इंसान और जानवरों के बीच एक सुरक्षित और सामंजस्यपूर्ण माहौल बनेगा।

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✍️ विभु मिश्रा

संपादक

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