राजनगर एक्सटेंशन में टूटी सड़कों से टूटा भरोसा, फॉर्च्यून सोसायटी निवासियों ने खुद भरा गड्ढा, पेश की मिसाल....

विभु मिश्रा

गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन की सड़कों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अब यहां के लोग जीडीए से उम्मीदें छोड़ते नजर आ रहे हैं। बार-बार शिकायत करने के बावजूद विभाग की लापरवाही से हालात जस के तस बने हुए हैं। टूटी सड़कों और गहरे गड्ढों ने लोगों की परेशानी और हादसों का खतरा बढ़ा दिया है। ऐसे माहौल में फॉर्च्यून सोसायटी के निवासियों ने ठान लिया कि अब वे खुद ही आगे बढ़कर जिम्मेदारी निभाएंगे। सामूहिक सहयोग से उन्होंने न सिर्फ सड़क पर बने बड़े गड्ढे को भरा बल्कि यह संदेश भी दिया कि सामाजिक जिम्मेदारी निभाना हम सबकी साझा भूमिका है।

टूटी सड़कें और उपेक्षा

राजनगर एक्सटेंशन की सड़कें लंबे समय से जर्जर हालत में हैं। जगह-जगह बने गड्ढों से आवागमन मुश्किल हो गया है। फॉर्च्यून सोसायटी के सामने बना करीब 15 फुट लंबा और 4 फुट चौड़ा गड्ढा सबसे बड़ा खतरा बन चुका था। निवासियों के अनुसार, जीडीए को कई बार लिखित और मौखिक शिकायतें की गईं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला और काम ठप पड़ा रहा।

सोसायटी ने निभाई जिम्मेदारी

फॉर्च्यून सोसायटी के निवासियों ने हालात पर चुप्पी साधने के बजाय खुद सड़क सुधारने का निर्णय लिया। एओए और मेंटिनेंस टीम की मदद से गड्ढे को रेत, सीमेंट और टाइल्स डालकर दुरुस्त किया गया। पूरा खर्च सोसायटी की एओए ने उठाया। निवासियों का कहना है कि हादसों और रोजमर्रा की मुश्किलों को देखते हुए अब और इंतजार करना संभव नहीं था।

हादसों का डर और राहत

सोसायटी निवासी संजय यादव ने बताया कि इस गड्ढे की वजह से कई वाहन क्षतिग्रस्त हुए और कई लोग चोटिल भी हुए। रोजाना यहां से निकलने वाले लोगों के लिए यह गड्ढा स्थायी खतरा बन गया था। उन्होंने कहा कि अब कम से कम लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी। यह मरम्मत भले स्थायी न हो, लेकिन आने-जाने वालों के लिए कुछ हद तक सुरक्षा जरूर सुनिश्चित करेगी।

आगे की उम्मीद

फॉर्च्यून सोसायटी के रेजिडेंट्स को विश्वास है कि उनकी यह पहल अन्य सोसायटीज को भी प्रेरित करेगी। उनका कहना है कि अगर हर सोसायटी अपने स्तर पर जिम्मेदारी निभाए तो राजनगर एक्सटेंशन को साफ-सुथरा और सुरक्षित बनाया जा सकता है। उन्होंने जीडीए से भी अपील की कि वह केवल आश्वासन देने के बजाय ठोस कार्यवाही करे, क्योंकि सड़कें जनता की बुनियादी जरूरत हैं और उन्हें उपेक्षित रखना किसी भी हाल में ठीक नहीं है।

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टिप्पणियाँ

  1. टूटी सड़कें, टूटे वादे: निलया ग्रीन रोड / हमतुम रोड की हालत बदतर

    गाज़ियाबाद की निलया ग्रीन रोड / हमतुम रोड की हालत बेहद खराब है — जगह-जगह **गड्ढे, जलभराव** और खराब ड्रेनेज ने इन सड़कों को **खतरनाक** बना दिया है। हजारों लोग रोज़ इन्हीं रास्तों से गुजरते हैं, खासकर परिवार और बच्चे, लेकिन अब तक **कोई ठोस काम शुरू नहीं हुआ**।

    **जीडीए (GDA)** ने सड़क चौड़ीकरण और मरम्मत की मंजूरी तो दे दी, लेकिन ज़मीन पर **कोई काम दिखाई नहीं दे रहा**। न मशीनें हैं, न मज़दूर — बस वादे और इंतज़ार।

    इन इलाकों में ज़्यादातर लोग **किराएदार** हैं, मालिक नहीं। शायद यही वजह है कि **कोई राजनेता या अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा**। किराएदारों को वोट बैंक में नहीं गिना जाता, इसलिए उनकी समस्याएं **अनसुनी** रह जाती हैं।

    बरसात में हालात और बिगड़ जाते हैं — फिसलन, दुर्घटनाएं और एम्बुलेंस तक को पहुंचने में दिक्कत।

    **किराएदार भी नागरिक हैं।** वे किराया देते हैं, टैक्स चुकाते हैं, और एक सुरक्षित जीवन के हकदार हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन को अब जागना होगा।

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