स्ट्रे डॉग्स पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानिए क्या बोले राजनगर एक्सटेंशन के लोग!

विभु मिश्रा 

गाजियाबाद। सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने एक नई बहस छेड़ दी है। इस फैसले के अनुसार, शेल्टर्स में रखे गए आवारा कुत्तों को वापस उनके पुराने स्थानों पर छोड़ा जाएगा। इस निर्णय पर राजनगर एक्सटेंशन के निवासी दो धड़ों में बंट गए हैं। जहां एनिमल लवर्स इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, वहीं कई रेजिडेंट्स का मानना है कि आम जनता की सुरक्षा और परेशानियों को ध्यान में रखते हुए इस फैसले पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए। पेश है इस मुद्दे पर लोगों की राय:

​'मानवता और करुणा की जीत': एनिमल लवर्स

​इस फैसले को लेकर एनिमल लवर्स में खुशी की लहर है। वे इसे मानवता और जानवरों के प्रति करुणा की जीत बता रहे हैं।

पीएचडी रिसर्च स्कॉलर और कम्युनिकेशंस प्रोफेशनल श्वेता वैदने इस फैसले को सराहनीय बताया है। उन्होंने कहा, "कुत्ते सदियों से हमारे जीवन और घरों का हिस्सा रहे हैं और हमारे धर्मग्रंथों व देवी-देवताओं जैसे कालभैरव से भी उनका गहरा संबंध है। लेकिन अफसोस सरकारी एनिमल शेल्टर्स में दवाइयों और सुविधाओं की कमी के कारण अक्सर इन्हें इलाज के नाम पर euthanize कर दिया जाता है या किसी आइसोलेटेड जगह पर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है, जो बेहद अमानवीय है। श्वेता कहती हैं कि नफरत और डर हमारी ही बनाई हुई भावनाएँ हैं, इन्हें पीछे छोड़कर इंसानियत को आगे रखना ही हमें सच्चा इंसान बनाता है। ज़रूरी है कि शेल्टर्स को असली केयर सेंटर्स बनाया जाए, भोजन, टीकाकरण और नसबंदी की सुविधाएँ सुनिश्चित हों, आरडब्ल्यूए द्वारा फ़ीडिंग स्पॉट तय किए जाएँ और बच्चों को भी सिखाया जाए कि कुत्तों के साथ सावधानी और करुणा से कैसे व्यवहार करना है।"

देवभूमि एनिमल शेल्टर की फाउंडर आशिमा सुनील ने इसे 'ईश्वरीय फैसला' बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, "आज फिर बुराई पर अच्छाई की जीत हुई है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस ईश्वरीय फैसले की हम सराहना करते हैं। आज बेजुबानो के फ़ेवर में फैसला सुनाकर हमारे भारतीय संविधान और उसका पालन करने वाले डॉग फ़ीडर्स की लाज रखी गयी है। मैं शुक्रगुज़ार की जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता, और जस्टिस आर वी अंजारिया बेंच की जिन्होंने 11-8-25 को पारदीवाला जी के सुनाए गए फैसले पर पुनर्विचार किया और सभी जीवों के हित में हमारे इकोसिस्टम को ध्यान में रखते हुए एक न्यायपूर्ण फैसला लिया। इस फैसले के लिए मैं पीएम मोदी और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भी हार्दिक धन्यवाद देना चाहती हूं।"

PFA गाजियाबाद की प्रेसिडेंट सुरभि रावत ने इस फैसले को वैज्ञानिक और मानवीय बताया। उन्होंने कहा, "हम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को सर आँखों पर रखते हैं। न्यायालय ने मिसाल दे दी कि इस संसार में मानवता, करुणा व दया अहम भूमिका निभाते हैं। यह एक साइंटिफिक व ह्यूमेन फैसला है। फैसले में संशोधन किया गया है। स्टेरिलाइजेशन, टीकाकरण व अच्छा व्यवहार ज़रूरी है। सड़क और सोसाइटियों से कुत्ते नहीं हटेंगे वो जहाँ थे वही रहेंगे। एनिमल लवर्स व फ़ीडर्स नगर निगम का नसबंदी व टीकाकरण अभियान में पूरा सहयोग देंगे। लोग फीडिंग प्वाइंट्स में ही खाना खिलाएंगे। अगर कोई कुत्ता काट रहा है तो उसके पीछे का कारण जाना जाएगा कि कहीं वह भूखा तो नहीं या उसको किसी ने मारा तो नहीं, क्या उसको कोई तकलीफ़ तो नहीं है।"

​आम जनता की सुरक्षा पर पुनर्विचार हो: रेजिडेंट्स

​वहीं, कई रेजिडेंट्स इस फैसले को लेकर चिंतित हैं और उनका मानना है कि यह आम जनता, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा पैदा कर सकता है।

ब्रेवहार्ट्स सोसायटी के निवासी दीपांशु मित्तल ने सुप्रीम कोर्ट से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। उन्होंने कहा, "माननीय सुप्रीम कोर्ट को दूरगामी परिणाम एवं आम जनता की दैनिक परेशानियों को देखते हुए इस आदेश पर पुनर विचार करना चाहिए। आए दिन सोसायटियों और सड़कों पर आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं सामने आती हैं, जिससे बच्चों और बुजुर्गों में भय का माहौल बना रहता है। हम सिर्फ यही आग्रह करते हैं कि गेटेड सोसाइटियों को इन आवारा कुत्तों से मुक्त कर दिया जाए। इन सोसायटियों में रहने वाले लोग एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में रहना चाहते हैं, जो इन कुत्तों के कारण बाधित होता है।"

नीलाया ग्रीन्स सोसाइटी की निवासी और दिल्ली मेट्रो में अनुभाग अधिकारी शीतल राणा तोमर ने गौशालाओं की तर्ज पर कुत्तों के लिए भी आश्रय गृह बनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में न रखने की जो बात कही है, उससे मन काफी दुःखी है क्योंकि 'जब गोमाता के लिए गौशालाएँ बनाई जा सकती हैं तो कुत्तों के लिए भी आश्रय गृह बनाए जाएँ, ताकि वे सड़कों पर भटकने के बजाय सुरक्षित स्थानों पर रह सकें।' जिससे उन्हें भी कोई परेशानी न हो और लोग भी सुरक्षित रहें। साथ ही, डॉग लवर्स को चाहिए कि यदि वे उन्हें भोजन कराते हैं तो उनके मल-मूत्र की सफ़ाई की जिम्मेदारी भी उठाएँ, ताकि शहर स्वच्छ और सुरक्षित रह सके।"


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✍️ विभु मिश्रा
संपादक
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