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विभु मिश्रा
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा आदेश ने आवारा कुत्तों पर लंबी बहस को नई हवा दे दी है। फैसला आते ही दिल्ली-एमसीआर का सोशल मीडिया मानो दो हिस्सों में बंट गया। एक तरफ डॉग लवर्स ने खुशी और राहत जताई तो दूसरी तरफ डॉग हेटर्स ने नाराज़गी और गुस्सा ज़ाहिर किया। ट्विटर से लेकर इंस्टाग्राम और लोकल फेसबुक ग्रुप्स तक हर जगह यही मुद्दा सबसे गर्म चर्चा बन गया।
डॉग लवर्स का जश्न
डॉग लवर्स इस फैसले को अपनी जीत मान रहे हैं। उनका कहना है कि कोर्ट ने इंसानियत और जानवरों के सह-अस्तित्व को मान्यता दी है।
एक यूज़र ने लिखा है कि “आखिरकार हमारी आवाज़ सुनी गई, कुत्तों को हटाना समाधान नहीं था।”
दूसरे ने पोस्ट किया “ये सिर्फ कुत्तों की नहीं, हमारी संवेदनशीलता की भी जीत है।”
इंस्टाग्राम पर डॉग लवर्स की रील्स और स्टोरीज़ में राहत और जश्न का माहौल साफ़ दिख रहा है।
डॉग हेटर्स का गुस्सा
इसके उलट, कुत्तों से परेशान लोग फैसले को अधूरा बता रहे हैं। ट्विटर पर एक अकाउंट ने लिखा— “सोचिए, बच्चों की सुरक्षा का क्या होगा?”
फेसबुक पर किसी ने नाराज़गी जताई “ये फैसला काग़ज़ पर अच्छा लगता है, ज़मीन पर कोई नहीं झेलता।”
कुछ लोगों ने तीखी टिप्पणी की “क्या कोर्ट काटने वाले कुत्तों की जिम्मेदारी लेगा?”
डिजिटल रणभूमि
फैसले के बाद सोशल मीडिया पर एनसीआर मानो दो ध्रुवों में बंटा नज़र आया। कहीं खुशी और राहत की पोस्ट्स थीं, तो कहीं गुस्से और बेचैनी से भरी टिप्पणियाँ।
व्हाट्सऐप स्टेटस पर भी बहस झलक रही है। किसी ने डॉग्स की तस्वीरें डालकर “जय हो सुप्रीम कोर्ट” लिखा, तो किसी ने चेतावनी दी है कि “अब काटने की घटनाएँ और बढ़ेंगी।”
यानी एनसीआर का सोशल मीडिया फैसले के बाद असली रणभूमि बना हुआ है।
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स्थान:
India
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