करोड़ों का फ्लैट, लेकिन जिंदगी कूड़े के बीच! राजनगर एक्सटेंशन के हालात बदतर

विभु मिश्रा

गाजियाबाद। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे और गाजियाबाद की अलग पहचान राजनगर एक्सटेंशन को कभी आधुनिक और प्रीमियम हाउसिंग का चेहरा बताया गया था। ऊँची-ऊँची इमारतें, चमचमाती सोसायटियाँ और लाखों की आबादी… लेकिन हकीकत यह है कि यहाँ करोड़ों में फ्लैट खरीदने वाले लोग आज गंदगी और कचरे के ढेरों के बीच जीने को मजबूर हैं।

सड़क किनारे और खाली प्लॉटों में कचरे के ढेर

पूरे इलाके में सबसे बड़ी समस्या अब लगातार विकराल रूप लेती जा रही है कूड़े की डंपिंग। सड़क किनारे और खाली पड़े प्लॉटों में खुलेआम कचरा फेंका जा रहा है। छोटे-छोटे कंटेनरों से निकलकर कूड़े का अंबार इतना बढ़ चुका है कि लोगों का सड़कों से गुजरना तक मुश्किल हो गया है। बदबू, गंदगी और चारों तरफ फैला कचरा इलाके की सूरत बिगाड़ रहा है।

सांस लेना मुश्किल, बढ़ा संक्रमण का खतरा

इस गंदगी का सीधा असर रेजिडेंट्स की जिंदगी पर पड़ रहा है। मक्खी-मच्छरों की तादाद बेकाबू हो चुकी है। कूड़े के ढेरों में अक्सर आग लगा दी जाती है, जिससे उठने वाला धुआं आसपास की सोसायटियों के लोगों का सांस लेना तक दूभर कर देता है। बच्चों और बुजुर्गों में संक्रमण, डेंगू-मलेरिया और सांस की बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है।

विकास की जगह समस्याओं का अंबार

राजनगर एक्सटेंशन सिर्फ गंदगी की ही नहीं, बल्कि कई और बुनियादी समस्याओं से भी घिरा है। टूटी-फूटी सड़कें, आए दिन का जाम, बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटें, सड़कों तक फैला अतिक्रमण और अवैध पार्किंग—इन सबने लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। करोड़ों रुपये खर्च कर खुले माहौल का सपना देखने वाले लोग अब खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

निगम और जीडीए के खिलाफ गुस्सा

रेजिडेंट्स का सबसे बड़ा गुस्सा गाजियाबाद नगर निगम और जीडीए पर है। लोगों का आरोप है कि नगर निगम टैक्स वसूली में तो सक्रिय है, हाउस टैक्स, सीवर टैक्स हर हाल में वसूला जाता है। लेकिन बदले में बुनियादी सुविधा तक नहीं मिलती। वहीं जीडीए विकास के नाम पर करोड़ों के बजट दिखाता है, लेकिन जमीन पर हकीकत सिर्फ लापरवाही और उपेक्षा है। कई बार शिकायत करने के बावजूद दोनों विभागों की चुप्पी ने निवासियों की नाराजगी को और भड़का दिया है। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो यह क्षेत्र बीमारियों का केंद्र बन जाएगा।





टिप्पणियाँ

  1. Kuch bhi nahi ho sakta hai... Builder aur Nagar Nigam ki santhb-ghandh hai...

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  2. GDA और Nagar Nigam ने एक developed city की हालत खराब कर रखी है सिर्फ ध्यान ना देने की वजह से

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  3. Bahut hi dukhad hai ye house tax to le ri hai nagar nigam but haal bahut bura hai

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