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विभु मिश्रा
गाजियाबाद। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर घंटाघर स्थित बलिदानी भगत सिंह सर्कल पर अखिल मुल्तानी कल्याण सेवा ट्रस्ट के नेतृत्व में पंजाबी समाज ने दीपक और मोमबत्तियां जलाकर आजादी के नायकों और 1947 के विभाजन की त्रासदी झेलने वाले परिवारों को याद किया। कार्यक्रम में देशभक्ति के गीत गूंजे और बलिदान की कहानियां सुनकर माहौल भावुक हो उठा।
दीपक बलिदानियों के नाम
गाजियाबाद के घंटाघर पर आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पंजाबी समाज ने उन वीरों, वीरांगनाओं और परिवारों को नमन किया, जिन्होंने भारत माता की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया। दीपदान के साथ मोमबत्तियां जलाकर उनकी स्मृति को सम्मानित किया गया। लोगों ने कहा कि आजादी की असली कीमत वही जान सकते हैं, जिन्होंने अपनों को खोया और अपने घर-आंगन छोड़ने पड़े।
विभाजन की पीड़ा याद
अखिल मुल्तानी कल्याण सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष विनय कक्कड़ ने कहा कि 1947 में अविभाजित पंजाब से खंडित भारत में आए परिवारों को अपने ही देश में रिफ्यूजी और शरणार्थी कहा गया। ये परिवार केवल इस वजह से भारत आए ताकि उनकी पहचान, आस्था और संस्कृति भारतीय ही बनी रहे। उन्होंने सबकुछ छोड़कर यहां नई शुरुआत की और अपने परिश्रम व पुरुषार्थ से फिर से मुख्यधारा से जुड़े।
मौजूदा चुनौतियों पर चिंता
गोल मार्किट के पंजाबी व्यापारी राजू छाबड़ा ने वर्तमान शासन पर बेरुखी का आरोप लगाते हुए कहा कि टैक्स और किराए में बेतहाशा वृद्धि ने व्यापारियों को मुश्किल में डाल दिया है। उन्होंने कहा कि जिस समुदाय ने देश की आजादी के लिए इतना कुछ सहा और योगदान दिया, उसकी आवाज आज भी अनसुनी की जा रही है।
अखंड भारत का सपना
सभी वक्ताओं ने एक मत से कहा कि पंजाबियों ने देश को आजाद देखने के लिए बड़ी कीमत चुकाई है। अब यह अगली पीढ़ी का दायित्व है कि वे इस आजादी को संजोकर रखें और भारत माता की भुजाओं को सशक्त करने में योगदान दें। उन्होंने अखंड भारत के सपने को साकार करने के लिए एकजुट होकर निरंतर प्रयास करने का आह्वान किया।
सैकड़ों लोग हुए शामिल
इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद से एड. विनय कक्कड़, नरेश ढींगड़ा, गुलशन भ्रामरी, विक्की कक्कड़, गौरव मल्होत्रा, ललित मल्होत्रा, सतीश चोपड़ा, अजय गंभीर, वरिष्ठ पंजाबी नेता जगदीश साधना, महेश आहूजा, अनिल अरोड़ा, सुभाष छाबड़ा, एस.पी. सिंह ओबेरॉय, भगत सिंह गोल मार्किट से सुरेश महाजन, संजीव लाहौरीया, रविन्द्र लाहौरीया, तरूण बुद्धिराजा, अशोक अरोड़ा, नीरज अरोड़ा, शंटी जी सलेक्शन, हरि मेहता और पंजाबी समाज के सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
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