शिकायतों के बावजूद जीडीए और एओए की नाक के नीचे हुआ अवैध निर्माण, तीन साल में शिकायतकर्ता हुआ बेहाल

विभु मिश्रा

गाजियाबाद। इंदिरापुरम की पॉश सोसायटी एंजेल ज्यूपिटर में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक निवासी ने बिना किसी अनुमति के दो फ्लैटों को आपस में मिला दिया है। जिससे सोसायटी की सुरक्षा पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) और अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (एओए) की नाक के नीचे यह अवैध निर्माण पूरा भी हो गया और कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस घोर लापरवाही के कारण सोसायटी के लोगों का गुस्सा अब सातवें आसमान पर है।

20वीं मंजिल के फ्लैट मालिक की जिंदगी हुई बेहाल

सोसायटी के ए टावर की 21वीं मंजिल पर स्थित दो फ्लैटों को एक निवासी ने मनमाने तरीके से आपस में जोड़ दिया है। इस काम के लिए उसने बीच की मुख्य दीवार को तोड़ दिया है। इसके साथ ही, उसने फ्लैट की मूल प्लंबिंग और सीवर लाइन में भी बड़े बदलाव किए हैं। इस अवैध निर्माण का खामियाजा 20वीं मंजिल पर रहने वाले अर्पनेश मणि को भुगतना पड़ रहा है, जिनके फ्लैट में लगातार पानी का रिसाव हो रहा है और दीवारों में सीलन आ गई है। श्री मणि 2022 से ही एओए और जीडीए को ईमेल और लिखित शिकायतें भेज रहे हैं।

शिकायतों पर जीडीए-एओए का मौन व्रत

श्री मणि ने अपनी शिकायतों के साथ अवैध निर्माण की तस्वीरें, वीडियो और अन्य लिखित सबूत भी सौंपे थे। लेकिन, तीन साल बीत जाने के बाद भी किसी भी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। जीडीए और एओए के पदाधिकारी मौन साधे बैठे हैं। स्थानीय मेंटेनेंस टीम भी केवल अस्थायी समाधान करके पल्ला झाड़ लेती है, जिससे समस्या कुछ ही हफ्तों में फिर से शुरू हो जाती है। इस लापरवाही ने सोसायटी के निवासियों का गुस्सा भड़का दिया है। वे सवाल उठा रहे हैं कि क्या जीडीए जैसी संस्थाएं सिर्फ कागजों पर ही सक्रिय हैं।

ऊपरी स्ट्रक्चर कमजोर, मंडरा रहा हादसे का खतरा

बिना अनुमति के फ्लैटों की संरचना में इस तरह का बदलाव न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि पूरी इमारत की संरचनात्मक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि 21वीं मंजिल पर हुई इस तोड़फोड़ से ऊपरी स्ट्रक्चर कमजोर हो सकता है, जिससे भविष्य में कोई बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है। अब स्थानीय निवासियों ने जिला प्रशासन, नगर निगम और जीडीए से मांग की है कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई की जाए और अवैध रूप से बदले गए फ्लैटों को उनके मूल स्वरूप में वापस लाया जाए।




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