- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
कुमुद मिश्रा
गाजियाबाद। शहर की सड़कों पर भले ही गाड़ियां दौड़ रही हों, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। टूटी सड़कें, कचरे के ढेर, बदहाल सीवर और जिम्मेदारी से भागता नगर निगम। समाजसेवी डॉ. बी.पी. त्यागी ने नगर निगम को सीधे कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जनसेवा के नाम पर केवल दिखावा हो रहा है, असली समस्याओं से किसी को सरोकार नहीं।
शिकायतों की फाइलें बंद
शहरभर से रोजाना हजारों शिकायतें जनसुनवाई पोर्टल, हेल्पलाइन और सोशल मीडिया पर दर्ज हो रही हैं, लेकिन निगम का रवैया बेहद लापरवाह है। डॉ. त्यागी के अनुसार, अधिकांश शिकायतों पर बिना मौके का निरीक्षण किए ही फर्जी निस्तारण दिखा दिया जाता है। जनता को गुमराह किया जा रहा है और शासन तक झूठी रिपोर्ट भेजी जा रही हैं। यह स्थिति सुशासन के नाम पर धोखा है।
सड़कों पर गंदगी, दफ्तरों में सन्नाटा
गाजियाबाद के कई इलाकों में सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं, नालियां जाम हैं और सीवर ओवरफ्लो होकर सड़कों पर फैल रहा है। मच्छरों और बदबू का आतंक दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। डॉ. त्यागी ने आरोप लगाया कि निगम अधिकारियों को फील्ड से कोई लेना-देना नहीं, वे केवल एसी कमरों में बैठकर ‘ऑन पेपर’ शहर को साफ-सुथरा दिखा रहे हैं।
![]() |
| आरडीसी डी - ब्लॉक पार्क |
जीडीए और डूडा पर भी निशाना
नगर निगम, जीडीए और डूडा- इन तीनों विभागों की कार्यप्रणाली का आलम यह है कि कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं। कोई काम पूछो तो एक-दूसरे पर टालमटोल शुरू हो जाती है। डॉ. त्यागी ने कहा कि ये विभाग अब सेवा केंद्र नहीं, बहानेबाज़ी के अड्डे बन चुके हैं। उन्होंने मांग की कि हर शिकायत की मौके पर जांच हो, झूठी रिपोर्ट पर कार्रवाई तय हो और एक जवाबदेह सिस्टम लागू किया जाए।
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप



टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें