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विभु मिश्रा
नई दिल्ली। व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात और ओपनएआई के साथ बड़े करार के चंद दिनों बाद ही Oracle ने ऐसा फैसला लिया, जिसने भारत में हजारों परिवारों को झकझोर दिया। कंपनी ने क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर डिवीजन (OCI) से भारत के करीब 10% कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
ट्रंप का दबाव और H-1B कार्ड
टेक जगत में चर्चा है कि यह छंटनी केवल “रीस्ट्रक्चरिंग” नहीं है, बल्कि ट्रंप प्रशासन के दबाव का नतीजा भी है। ट्रंप लंबे समय से अमेरिकी कंपनियों पर H-1B वीज़ा निर्भरता घटाने और नौकरियाँ वापस अमेरिका लाने का दबाव बना रहे हैं। Oracle की छंटनी को इसी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
ओपनएआई डील और अमेरिका में भर्ती
Oracle ने हाल ही में ओपनएआई के साथ 500 अरब डॉलर का AI इंफ्रास्ट्रक्चर करार किया है। ट्रंप से मुलाकात के तुरंत बाद यह संदेश भी गया कि कंपनी अमेरिका में भर्ती बढ़ाएगी। ऐसे में भारत समेत दूसरे देशों में नौकरी काटकर अमेरिका में नई AI जॉब्स का रास्ता साफ़ किया जा रहा है।
भारत में सबसे बड़ा झटका
भारत में Oracle के लगभग 28,800 कर्मचारी काम करते हैं। अचानक हुई इस छंटनी ने करीब 10% यानी हजारों कर्मचारियों को प्रभावित किया है। कई लोगों के परिवारों की रोज़ी-रोटी पर सीधा असर पड़ा है। टेक इंडस्ट्री के जानकार इसे भारतीय टैलेंट की बड़ी कीमत बताते हैं, जो अमेरिकी राजनीति और कॉर्पोरेट डील का शिकार बन गया।
वैश्विक पैमाने पर सफाई
अमेरिका और कनाडा में भी इसी तरह की छंटनियों की पुष्टि हुई है। कैलिफोर्निया और सिएटल में सैकड़ों कर्मचारियों को निकाल दिया गया। साफ है कि Oracle का फोकस अब AI आधारित नए डेटा सेंटर और अमेरिकी भर्ती पर है, जबकि भारत जैसे देशों में नौकरियों की कटौती जारी रहेगी।
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