चंद्रग्रहण 2025: किस राशि को मिलेगा वरदान और कौन रहे सावधान? जानें पूरी डिटेल सिर्फ एक क्लिक में....

विभु मिश्रा
गाजियाबाद। आज रात साल का अंतिम पूर्ण चंद्रग्रहण पूरे भारत में दिखाई देगा। इसे खगोलविद “ब्लड मून” कह रहे हैं क्योंकि ग्रहण के दौरान चांद का रंग लालिमा लिए होगा। ग्रहण की शुरुआत रात 8:58 बजे होगी और यह 1:26 बजे (8 सितम्बर) खत्म होगा। पूर्ण ग्रहण का सबसे खास पल 11:00 बजे से 12:22 बजे तक रहेगा। ज्योतिष के अनुसार यह चंद्रग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में घटित हो रहा है। इसलिए इसका सीधा असर राशियों पर दिखेगा।

किन राशियों को मिलेगा लाभ

ग्रहण का सबसे अच्छा प्रभाव मेष, वृश्चिक, धनु और मीन राशि वालों पर रहेगा। नौकरीपेशा लोगों को प्रमोशन और व्यापारियों को नए अवसर मिल सकते हैं। अटके हुए धन की प्राप्ति और पारिवारिक संबंधों में मिठास बढ़ने की संभावना है। मिथुन और कन्या राशि वाले भी लाभान्वित होंगे। उनके लिए यह समय नए प्रोजेक्ट, निवेश और भागीदारी के लिए सकारात्मक संकेत ला सकता है।

किसे रहना होगा सावधान

चंद्रग्रहण का भारी असर वृषभ, कर्क, सिंह, मकर और कुंभ राशि पर पड़ेगा। इन जातकों को आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य समस्या और रिश्तों में तनाव का सामना करना पड़ सकता है। छोटे-मोटे विवाद बढ़ सकते हैं। खासकर कुंभ राशि वालों को मानसिक तनाव और अस्थिरता का अनुभव होगा क्योंकि यही राशि ग्रहण का केंद्र है। वहीं तुला राशि के लिए स्थिति मिली-जुली रहेगी—कुछ मामलों में लाभ मिलेगा तो कुछ में उलझनें भी रहेंगी।

राशि अनुसार विशेष उपाय

मेष: श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।

वृषभ: चंद्रमा को दूध या जल अर्पित करें।

मिथुन: पानी से भरा नारियल नदी में बहाएं।

कर्क: राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें।

सिंह: नरसिंह मंत्र का जाप करें।

कन्या: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।

तुला: हनुमान चालीसा का 11 बार पाठ करें।

वृश्चिक: जरूरतमंदों को भोजन दान करें।

धनु: गोदान या धार्मिक ग्रंथ का अध्ययन करें।

मकर: चंद्र मंत्र का जाप करें।

कुंभ: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

मीन: महामृत्युंजय मंत्र का जाप और ध्यान करें।

क्या करें ग्रहण के दौरान

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल में ध्यान, जप और पाठ करना सबसे शुभ होता है। श्रीमद्भगवद्गीता, रामचरितमानस या हनुमान चालीसा का पाठ करने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करें और घर-मंदिर में गंगाजल छिड़क कर शुद्धिकरण करें। जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करना पुण्यकारी माना गया है।

किन बातों से बचें

ग्रहण और सूतक काल में खाना पकाना या खाना वर्जित माना गया है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं और पूजा-पाठ रोक दी जाती है। किसी नए कार्य की शुरुआत या बड़े फैसले लेने से भी परहेज करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को बाहर जाने, धारदार वस्तुओं के प्रयोग और अधिक श्रम से बचना चाहिए। ग्रहण समाप्त होते ही स्नान और शुद्धिकरण के बाद सामान्य कार्य शुरू किए जा सकते हैं।

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