- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन की पॉश एसजी ग्रैंड सोसाइटी में करोड़ों रुपये के वित्तीय घोटाले का जिन्न आखिरकार बोतल से बाहर आ गया है। बिल्डर से सोसाइटी हैंडओवर के दौरान पूर्व एओए (अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन) पर वित्तीय हेरफेर और पारदर्शिता की कमी के गंभीर आरोप वर्तमान एओए ने लगाए हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए डिप्टी रजिस्ट्रार ने सोसायटी के 2021 से अब तक का फाइनल ऑडिट नोटिस जारी कर दिया है, जिसमें स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि तय समयसीमा में संतोषजनक जवाब न मिलने पर सीधी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हैंडओवर में करोड़ों का झोल
सोसाइटी का हैंडओवर बिल्डर से पूर्व एओए ने किया था। वर्तमान एओए का आरोप है कि इसी प्रक्रिया में बड़े घोटाले किए गए है। वर्तमान एओए ने डिप्टी रजिस्ट्रार को शिकायत दी थी कि ईएफएमएस, कॉमन एरिया इलेक्ट्रिसिटी, सिंकिंग फंड, विजिटर पार्किंग और निवासियों से लिए गए करोड़ों रुपये का हिसाब-किताब आज तक साफ नहीं किया गया। डिप्टी रजिस्ट्रार के नोटिस में यही सवाल उठाया गया है कि आखिर हैंडओवर के समय का पूरा वित्तीय ब्योरा कहां गया।
एफडी तोड़ी और फंड गायब
वर्तमान एओए ने आरोप लगाया था कि सोसाइटी की 75 लाख रुपये की FD को पूर्व पदाधिकारियों ने बिना जानकारी दिए तोड़ा और उसमें से 25 लाख का हिसाब भी नहीं दिया। यही नहीं, पद से हटने के बाद भी पूर्व एओए ने बिना वर्तमान एओए को बताए कई चेक काटे। आज भी कई निवासियों को IFMS फंड वापस नहीं मिला जबकि कुछ को लौटा दिया गया। इमरजेंसी के लिए रखा गया यह फंड में भी हेराफेरी की गई है।
पूर्व पदाधिकारियों पर आरोप
फाइनल नोटिस के बाद पूर्व एओए पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। आरोप है कि इनके कार्यकाल में करोड़ों रुपये का हिसाब गायब हुआ। वर्तमान में पूर्व सचिव प्रेम सिंह बिहार शिफ्ट हो चुके हैं, पूर्व उपाध्यक्ष विपिन कपूर भी गाजियाबाद में अपने नए मकान में शिफ्ट कर गए हैं।
निवासियों की नाराजगी
सोसाइटी के निवासियों का कहना है कि बिल्डर से हैंडओवर का उद्देश्य विकास कार्य और बेहतर प्रबंधन था, लेकिन इसके बजाय उन्हें वित्तीय नुकसान और पारदर्शिता की कमी का सामना करना पड़ा। पार्किंग, अधूरे कार्य, लिफ्ट और अन्य बुनियादी सुविधाओं पर भी वादे पूरे नहीं किए गए।
कानूनी तलवार लटकी
डिप्टी रजिस्ट्रार का फाइनल नोटिस औपचारिकता नहीं बल्कि बड़ा कानूनी कदम है। इसमें साफ चेतावनी दी गई है कि जवाब टालने या असत्य जानकारी देने पर संबंधित पदाधिकारियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई होगी। हालांकि आदेशों के मुताबिक वर्तमान एओए के कार्यकाल का भी इसी में ऑडिट होना है।
आगे की कानूनी प्रक्रिय
कानूनी जानकारों का कहना है कि यदि इस आदेश का संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो मामला सीधे पुलिस या अदालत तक जा सकता है।
विशेष: रोचक और अपने से जुड़ी खबरों के लिए "मौन एक्सप्रेस" को जरूर फॉलो करें।
AOA financial irregularities
Deputy Registrar audit
Ghaziabad housing fraud
IFMS fund misuse
Rajnagar Extension scandal
SG Grand scam
स्थान:
India
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
टिप्पणियाँ

👍
जवाब देंहटाएंcurrent aoa more corrupt, no agm, no gbm, no financial statements
जवाब देंहटाएं