राजनगर एक्सटेंशन में बगावत की आहट, पूर्वांचल कल्याण संघ की सांसद-विधायक आवास घेरने की तैयारी

राजनगर एक्सटेंशन में टूटी सड़कें और उनमें हुआ जलभराव

विभु मिश्रा
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन अब उबाल पर है। डेढ़ लाख से ज्यादा लोग जीडीए और नगर निगम की लापरवाही से तंग आ चुके हैं। रेजिडेंट्स ने साफ चेतावनी दी है – अगर हालात नहीं सुधरे तो सड़कों पर जनसैलाब उतरेगा और सांसद-विधायक आवास का घेराव होगा।

आंदोलन का बिगुल बजा

पूर्वांचल कल्याण संघ ने आंदोलन का ऐलान कर दिया है। संगठन के संयोजक दीपक मिश्रा का कहना है कि अब फ्लैटों की चारदीवारी से बाहर निकलकर लोगों को सड़क पर उतरना होगा। “अधिकारियों के कान तब तक नहीं खुलेंगे जब तक हजारों लोग एकजुट होकर प्रदर्शन नहीं करेंगे।” उन्होंने कहा कि जीडीए और नगर निगम ने सिर्फ झूठे वादों से काम चलाया है, लेकिन इस बार जनता हाथ पर हाथ धरकर नहीं बैठेगी।

सांसद-विधायक आवास पर घेराव

इस आंदोलन की सबसे बड़ी रणनीति है स्थानीय सांसद और विधायक के आवास का घेराव। रेजिडेंट्स का आरोप है कि नेताओं ने सिर्फ चुनाव के वक्त सपने दिखाए, फिर मुंह मोड़ लिया। अब हालात ऐसे हैं कि जनप्रतिनिधियों को उनके घरों तक घेरकर जवाब मांगा जाएगा। संगठन ने साफ कहा है कि यह आंदोलन ऐतिहासिक होगा और नेताओं को जनता का असली गुस्सा दिखेगा।

गंगाजल की आपूर्ति ही समाधान

पानी की समस्या आंदोलन का केंद्र है। राजीव झा का कहना है कि सोसायटियों में गंदा और दूषित पानी आ रहा है। जांचों में बार-बार ये साबित हो चुका है, लेकिन कार्रवाई शून्य रही। अब रेजिडेंट्स की मांग है कि राजनगर एक्सटेंशन को गंगाजल से जोड़ा जाए। बिना इसके समस्या का हल संभव नहीं। यह मांग आंदोलन में सबसे बुलंद होगी।

टूटी सड़कें और गंदगी का ढेर

रेजिडेंट्स का गुस्सा टूटी सड़कों, जाम और कूड़े के पहाड़ पर भी है। सुबह-शाम का घंटों लंबा जाम, गड्ढों से भरी सड़कें और नगर निगम की सफाई व्यवस्था की नाकामी ने जिंदगी मुश्किल बना दी है। कूड़े के ढेरों पर मवेशी और स्ट्रीट डॉग्स मंडराते हैं, हादसे आम हो चुके हैं। लोग कहते हैं कि जो इलाका सपनों का शहर बताया गया था, वह अब नरक में बदल गया है।

अबकी बार चुप्पी नहीं

रेजिडेंट्स का कहना है कि नेताओं पर भरोसा टूट चुका है। हर चुनाव में बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन जीतते ही सब गायब हो जाते हैं। अबकी बार जनता चुप नहीं बैठेगी। आंदोलन ही आखिरी रास्ता है और इस बार आवाज़ इतनी बुलंद होगी कि जीडीए, नगर निगम और नेताओं को जवाब देना ही पड़ेगा।

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