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| डॉ. बी पी त्यागी |
कई तरीकों से फैलता संक्रमण
डॉ. त्यागी के अनुसार, ज़ूनोसिस सीधे संपर्क से (जैसे कुत्ते के काटने से रेबीज़), अप्रत्यक्ष रूप से (संक्रमित पानी और मिट्टी से), वाहकों (मच्छर, मक्खी, किलनी) के जरिए और दूषित पशु उत्पादों जैसे अधपका मांस या बिना उबाले दूध से फैल सकता है। बाढ़ के पानी में जानवरों के शव मिलने से संक्रमण और भी तेज़ी से फैलने की आशंका रहती है।
खतरनाक बीमारियों का खतरा
उन्होंने बताया कि वायरस जनित (रेबीज़, बर्ड फ्लू, COVID-19, स्वाइन फ्लू), बैक्टीरिया जनित (प्लेग, लेप्टोस्पायरोसिस, ब्रुसेलोसिस), परजीवी जनित (टॉक्सोप्लाज़्मोसिस, हाइडेटिड रोग) और फफूंद जनित संक्रमण (काला, सफेद व येलो फंगस) बाढ़ग्रस्त इलाकों में आमतौर पर सामने आते हैं। चूहों, सांपों और छिपकलियों के संपर्क से भी फंगल संक्रमण का खतरा रहता है।
रोकथाम पर जोर
डॉ. त्यागी ने कहा कि विश्व स्तर पर करीब 60% संक्रामक रोग ज़ूनोसिस से जुड़े होते हैं और SARS, MERS व COVID-19 जैसी नई बीमारियों की जड़ भी जानवर ही रहे हैं। उन्होंने जोर दिया कि बाढ़ग्रस्त इलाकों में संक्रमण रोकने के लिए पानी की नियमित सफाई बेहद ज़रूरी है। इसके लिए पानी की सफाई किट, कीटनाशक स्प्रे और डिसइंफेक्टेंट पाउडर का इस्तेमाल करना चाहिए।
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Flood health risk
Infectious diseases
Prof BP Tyagi
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Zoonosis
स्थान:
India
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