गाजियाबाद: राजनगर एक्सटेंशन की सेवी विला सोसायटी में गबन की सनसनी, निवासियों को FIR की मंजूरी, अब होगा हिसाब

विभु मिश्रा
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन में सेवी विला डे अपार्टमेंट ऑनर्स एसोसिएशन (AOA) के निवासी गुस्से में हैं। उनकी मेहनत की कमाई से जुटाए फंड में लाखों की हेराफेरी का मामला सामने आने के बाद अब डिप्टी रजिस्ट्रार ने निवासियों को प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का आदेश दे दिया है। यह घोटाला, जो 2023 की एक आमसभा से शुरू हुआ, अब कानूनी जंग की शक्ल ले चुका है। AOA के कई बड़े पदाधिकारियों पर उंगलियां उठ रही हैं। आखिर कैसे खुली इस घोटाले की पोल, और अब निवासियों की क्या रणनीति है? आइए, इस कहानी को तफ्सील से समझते हैं।

22 लाख की गड़बड़ी पकड़ी गई

मई 2023 में सेवी विला सोसायटी की आमसभा में निवासियों को उस वक्त झटका लगा, जब AOA ने अपना वित्तीय लेखा-जोखा पेश किया। ब्योरे में कई खामियां नजर आईं, और जब निवासियों ने बैंक स्टेटमेंट की मांग की, तो AOA की ओर से टालमटोल शुरू हो गया। इससे शक गहराया, और निवासियों ने खुद छानबीन की। उनकी जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ, 10 महीने में 22 लाख रुपये की राशि सोसायटी के बैंक खाते में जमा ही नहीं हुई। गुस्साए निवासियों ने जुलाई 2023 में डिप्टी रजिस्ट्रार को शिकायत दी और ऑडिट की मांग की। 2 सितंबर 2024 को डिप्टी रजिस्ट्रार ने ऑडिट का आदेश दिया। 3 जनवरी 2025 को जमा हुई ऑडिट रिपोर्ट ने सनसनी मचा दी, जिसमें साफ हुआ कि सोसायटी के फंड में बड़े पैमाने पर गबन हुआ था। निवासियों का कहना है कि यह सिर्फ पैसे का सवाल नहीं, बल्कि विश्वास पर चोट है।

सिटी मजिस्ट्रेट की जांच: भ्रष्टाचार की पुष्टि

ऑडिट में गबन की बात सामने आने के बाद AOA की चुप्पी ने निवासियों का गुस्सा और बढ़ा दिया। कार्रवाई की मांग को लेकर निवासियों ने जिलाधिकारी का दरवाजा खटखटाया। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच का जिम्मा सिटी मजिस्ट्रेट को सौंपा। सिटी मजिस्ट्रेट ने ऑडिट रिपोर्ट, बैंक रिकॉर्ड, और अन्य दस्तावेजों की बारीकी से पड़ताल की। उनकी जांच ने ऑडिट के निष्कर्षों पर मुहर लगा दी। सोसायटी के फंड में भारी अनियमितताएं थीं, और यह सब जानबूझकर किया गया। जांच में साफ हुआ कि AOA के कुछ पदाधिकारियों ने फंड का निजी हितों के लिए दुरुपयोग किया। इस आधार पर डिप्टी रजिस्ट्रार ने 2025 में निवासियों को FIR दर्ज करने का आदेश दिया। यह आदेश निवासियों के लिए एक बड़ी जीत है, जो लंबे समय से पारदर्शिता और न्याय की मांग कर रहे थे। अब निवासियों का इरादा साफ है कि दोषियों को सजा दिलवानी है।

दोषियों पर कानूनी शिकंजा: ये हैं निशाने पर

इस घोटाले में 2022-23 और 2023-24 के AOA बोर्ड के पदाधिकारी जांच के घेरे में हैं। 2022-23 में बोर्ड में शामिल थे प्रशांत वर्मा (अध्यक्ष), विवेक अरोड़ा (उपाध्यक्ष), साहब सिंह (सचिव), अमित कुमार (कोषाध्यक्ष), वीरेंद्र पाण्डेय, मोहन दत्त शर्मा, पारस, आकाश अग्रवाल, जयंत कुमार, और आदेश शर्मा (सभी सदस्य)। वहीं, 2023-24 में बोर्ड में थे साहब सिंह (अध्यक्ष), अमित कुमार (उपाध्यक्ष), कंवरजीत सिंह (कैशियर), प्रशांत वर्मा (सचिव), विवेक अरोड़ा, वीरेंद्र पाण्डेय, मीना बलूनी, हेमंत कुमार, नीरज कुमार श्रीवास्तव, और रमाकांत बराल (सभी सदस्य)। इन सभी पर गबन और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। 

एफआईआर की तैयारी

निवासियों ने अब इनके खिलाफ FIR दर्ज करने की पूरी तैयारी कर ली है। सेवी विला के निवासी इसे विश्वास का सवाल मानते हैं और कहते हैं, “हमारी मेहनत की कमाई लूटी गई, और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।” यह मामला गाजियाबाद की अन्य सोसायटियों के लिए भी एक सबक है कि वित्तीय पारदर्शिता की कमी कितने बड़े संकट को जन्म दे सकती है। जैसे-जैसे यह कानूनी लड़ाई आगे बढ़ेगी, सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या दोषियों को सजा मिलेगी।

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