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| डॉ. बी पी त्यागी |
बढ़ती फेफड़ों की बीमारियां
डॉ. त्यागी ने बताया कि आज अस्थमा, टीबी, सीओपीडी, फेफड़ों का कैंसर, न्यूमोनिया और पोस्ट-कोविड जटिलताएं तेजी से बढ़ रही हैं।
- अस्थमा में सांस लेने में कठिनाई और घरघराहट महसूस होती है।
- सीओपीडी लंबे समय तक धूम्रपान व प्रदूषण से होता है।
- टीबी एक संक्रामक बीमारी है।
- न्यूमोनिया संक्रमण का संकेत है।
- फेफड़ों का कैंसर धूम्रपान से सबसे ज्यादा जुड़ा है।
स्वस्थ फेफड़ों के उपाय
डॉ. त्यागी ने कहा कि फेफड़ों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे।
- धूम्रपान और तंबाकू पूरी तरह छोड़ें।
- प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनें और स्वच्छता बनाए रखें।नियमित व्यायाम और प्राणायाम से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।पौष्टिक भोजन करें और वार्षिक स्वास्थ्य जांच कराएं।
- संक्रमण से बचाव के लिए फ्लू और न्यूमोनिया का टीकाकरण कराएं।
युवाओं और धूम्रपान करने वालों को चेतावनी
डॉ. त्यागी ने विशेष रूप से युवाओं को चेताया कि बीड़ी, सिगरेट, हुक्का और अन्य नशे फेफड़ों की सबसे बड़ी दुश्मन हैं। उन्होंने कहा कि प्रदूषण व धुएँ वाले इलाकों में मास्क का प्रयोग और समय-समय पर सांस की जांच जरूरी है।
जागरूकता ही समाधान
डॉ. त्यागी का कहना है कि सांस ही जीवन है। यदि हम फेफड़ों का ध्यान नहीं रखेंगे तो जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होगी। वर्ल्ड लंग डे पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम स्वस्थ आदतें अपनाएँगे और समाज में जागरूकता फैलाएँगे। उनका मानना है कि समय पर जांच और उचित इलाज से गंभीर बीमारियों को रोका जा सकता है। फेफड़ों को स्वस्थ रखने से न सिर्फ सांस लेना आसान होता है बल्कि शरीर की कार्यक्षमता, मानसिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
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स्थान:
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