एनसीआर की हवा यानी 'धीमा जहर', नहीं चेते तो अगले 10 साल में घट जाएगी 25% तक आबादी: डॉ. बीपी त्यागी

गाजियाबाद में प्रदूषण की एक तस्वीर
विभु मिश्रा 
गाजियाबाद। दिल्ली-NCR की हवा अब सिर्फ धुंध और प्रदूषण नहीं, बल्कि धीरे-धीरे लोगों को अंदर से खत्म करने वाला “धीमा ज़हर” बन चुकी है। हर्ष ईएनटी हॉस्पिटल के चेयरमैन और वरिष्ठ ईएनटी सर्जन डॉ. बी.पी. त्यागी ने चेताया है कि CO₂ और पीएम 2.5 के लगातार बढ़ते स्तर के कारण आने वाले 10 साल में NCR की आबादी 25% तक घट सकती है। उनका कहना है कि यह स्थिति अब सिर्फ हवा की समस्या नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुकी है।

हर सांस के साथ खतरा बढ़ रहा

डॉ. बीपी त्यागी
डॉ. त्यागी बताते हैं कि NCR में CO₂ का स्तर सामान्य सीमा 400–800 PPM से कई गुना ऊपर पहुँच गया है। 1400 PPM तक बढ़ते ही सोचने-समझने की क्षमता 25% तक घट जाती है और जटिल फैसले लेना मुश्किल हो जाता है।
पौधों पर जमा प्रदूषण उन्हें CO₂ अवशोषित करने से रोक रहा है, जिससे ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा है और CO₂ लगातार बढ़ रहा है। इसका असर लोगों में साफ दिख रहा है। मोटापा, सांस की तकलीफ, नींद की कमी और मानसिक असंतुलन। हर सांस अब खतरे के करीब है।
पत्तों पर जमा धूल

5000 PPM: जीवन पर सीधा हमला

डॉ. त्यागी ने चेताया कि 2500–5000 PPM तक CO₂ शरीर को भारी कर देता है, सुस्ती और दिमागी धुंध बढ़ा देता है। 5000 PPM से ऊपर की हवा सीधे जान के लिए खतरा है। बेहोशी, लकवा, फेफड़ों का फेल होना, स्ट्रोक और हार्ट अटैक हो सकते हैं।
विशेष रूप से बच्चे, बुजुर्ग और सांस के मरीज सबसे अधिक जोखिम में हैं। उनके मुताबिक फेफड़े, दिमाग, दिल, नर्वस सिस्टम और इम्यून सिस्टम पर गहरा और लगातार असर पड़ रहा है।

नहीं चेते तो अस्पताल भी पड़ जाएंगे कम 

डॉ. त्यागी ने आगाह किया कि NCR की हवा लोगों को धीरे-धीरे भीतर से खत्म कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर लोग साफ हवा की तलाश में पहाड़ी क्षेत्रों या सुरक्षित स्थानों की ओर नहीं गए, तो अगले 10 साल में NCR की आबादी 25% तक घट सकती है।
उन्होंने इससे बचने के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं। उनके मुताबिक घर और ऑफिस में एयर प्यूरीफायर लगाना, कमरे की हवा बार-बार बदलना, खिड़कियों पर फिल्टर लगाना और प्रदूषण के चरम समय में बाहरी गतिविधियों को सीमित करना ही सबसे बेहतर उपास्य है। डॉ. त्यागी ने चेताया, “यदि अभी कदम नहीं उठाए गए, तो स्वास्थ्य संकट इतना बड़ा होगा कि अस्पताल भी कम पड़ जाएंगे। आने वाली पीढ़ियों पर इसका असर विनाशकारी होगा।”

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