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गाजियाबाद। आधुनिक कहे जाने वाले इंदिरापुरम में खुले नाले लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। अधिकारी दावा करते हैं कि काम जारी है, लेकिन हर दिन सड़कों पर बहता गंदा पानी, बदबू और लगातार होने वाले हादसे साबित करते हैं कि सिस्टम ने इस समस्या को नजरअंदाज कर दिया है। अगस्त में दिव्यांग युवक का स्कूटी समेत नाले में गिरना भी प्रशासन को नहीं जगा सका।
अधूरे दावे, खतरनाक हालात
इंदिरापुरम में 12 बड़े नाले हैं, जिनमें से ज्यादातर खुले हुए हैं। न कवरिंग, न सुरक्षा जाल। गहरे नालों के किनारे चलते समय लोगों को गिरने का डर बना रहता है। कई इलाकों में नालों की सफाई अधूरी छोड़कर उन्हें खुला छोड़ दिया जाता है। स्थानीय लोगो का आरोप है कि नगर निगम बस आश्वासन देता है, समस्या का जल्द समाधान नहीं।
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| मकनपुर में गंदगी से अटी पड़ी नाली |
गंदगी से जूझते मोहल्ले
शक्तिखंड, न्यायखंड, अभयखंड और मकनपुर की गलियां नालियों के गंदे पानी से अक्सर डूबी रहती हैं। पानी की निकासी न होने से बारिश के दौरान सड़कें नाले बन जाती हैं। शिवाजी पार्क के पास तो बदबू इतनी होती है कि लोग मास्क लगाकर निकलते हैं। दुकानदारों का कहना है कि खुले नाले और जाम नालियां उनका व्यापार तक चौपट कर रही हैं।
हादसे रोज, जिम्मेदारी शून्य
दिव्यांग युवक का हादसा कोई पहला मामला नहीं था। कई लोग पहले भी खुले नालों में गिर चुके हैं, कुछ जान से भी हाथ धो बैठे। लोग लगातार लिखित शिकायतें दे रहे हैं, लेकिन हर बार सिर्फ “प्रस्ताव पास हो चुका है” का जवाब मिलता है। नियम साफ हैं कि नालों को सुरक्षित ढकना जरूरी है, लेकिन इंदिरापुरम में कानून कागजों तक सीमित है।
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स्थान:
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