'मौत का गड्ढा' बना इंदिरापुरम का तिकोना पार्क, निगम की लापरवाही और पार्षद की चुप्पी ने बढ़ाया खतरा

नलकूप के लिए खोदा गया गड्ढा जिसे भरा नहीं गया
विभु मिश्रा 
गाजियाबाद। इंदिरापुरम के वैभव खंड (वार्ड-99) में स्थित तिकोना पार्क अब हरियाली नहीं, हादसे और बीमारी का प्रतीक बन गया है। नगर निगम ने करीब दो महीने पहले नलकूप लगाने के नाम पर इस पार्क में खुदाई कराई, लेकिन काम अधूरा छोड़कर ठेकेदार चलता बना। अब वही जगह करीब 30 से 40 फीट लंबा और चौड़ा मौत का गड्ढा बन चुकी है, जिसमें पानी, कचरा और बदबू का अंबार है।

काम अधूरा, खतरा पूरा

नगर निगम की लापरवाही का आलम यह है कि खुदाई के बाद गड्ढे को भरना तो दूर, उसकी चारदीवारी तक नहीं बनाई गई। बाउंड्री वॉल तोड़ दी गई, लेकिन दो महीने में किसी को याद तक नहीं आया कि उसे दुरुस्त किया जाए। न गड्ढे के चारों ओर बैरिकेडिंग, न चेतावनी बोर्ड बस एक खुला खतरा, जो हर वक्त हादसे को न्योता दे रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि निगम के अफसरों को इलाके की सुध लेने का वक्त ही नहीं, जैसे इंदिरापुरम अब उनकी प्राथमिकता से बाहर हो चुका है।
खतरा बनी पार्क की तोड़ी गई बाउंड्री वाल 

अंधेरे में छिपा ‘मौत का गड्ढा’

पार्क में न लाइटें हैं, न निगरानी। शाम ढलते ही पूरा इलाका अंधेरे में डूब जाता है। लोगों को डर है कि अगर कोई व्यक्ति या बच्चा गलती से पार्क में पहुंच गया तो खुले गड्ढे में गिरकर बड़ा हादसा हो सकता है। यह न सिर्फ असावधानी है, बल्कि नगर निगम की सीधी लापरवाही है जिसने लोगों की जान जोखिम में डाल दी है।

पार्षद की खामोशी पर सवाल

वार्ड की पार्षद प्रीति जैन पर भी लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने कई बार शिकायतें दीं, तस्वीरें भेजीं, लेकिन पार्षद ने न एक बार मौके पर जाकर देखा, न कोई कार्रवाई कराई। लोग तंज कसते हैं कि हमारे पार्क में मौत का गड्ढा खुला है और पार्षद जी फोटो खिंचवाने में व्यस्त हैं। जनप्रतिनिधि की इस चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या जनता की सुरक्षा उनके एजेंडे में है भी या नहीं।
गड्ढे में भरा पानी और फैली गंदगी 

बीमारी और बदबू का गढ़

गड्ढे में भरे ठहरे पानी और कचरे से बदबू फैल रही है। मच्छरों की भरमार है और डेंगू-मलेरिया का खतरा बढ़ता जा रहा है। लोग कह रहे हैं कि नगर निगम ने पानी तो दिया, लेकिन बीमारी भी साथ दे दी। हर गुजरते दिन के साथ खतरा और बढ़ता जा रहा है, मगर जिम्मेदार विभाग मौन है।

जीडीए के वक्त ऐसा हाल नहीं था

निवासियों का कहना है कि जब तक इंदिरापुरम जीडीए के अधीन था, सफाई और रखरखाव बेहतर था। नगर निगम के अधीन आते ही हालात बेकाबू हो गए हैं। अब न सफाई दिखती है, न जवाबदेही। है तो बस फाइलों में विकास और जमीनी स्तर पर लापरवाही।

लोगों की मांग

निवासियों ने नगर निगम से तत्काल गड्ढा भरने, पार्क की दीवार दोबारा बनाने, बैरिकेडिंग व लाइट लगवाने और संबंधित ठेकेदार व अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि  जब तक निगम और पार्षद जवाबदेह नहीं बनेंगे, जनता की सुरक्षा भगवान भरोसे ही रहेगी।

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