प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर डॉक्टरों ने सिखाए स्वास्थ्य के सूत्र, योग और सात्त्विक भोजन को बताया जरूरी

सुशील कुमार शर्मा 
गाजियाबाद। स्वामी भास्करानंद वैदिक थेरेपी सेंटर, शास्त्रीनगर में प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर आयोजित कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कहा कि बीमारियां दवाओं से नहीं, दिनचर्या और भोजन से दूर होती हैं। वक्ताओं ने 80% अल्कलाइन डाइट, योग, प्राणायाम और नेचुरल डिटॉक्स को स्वस्थ जीवन का आधार बताते हुए लोगों को “सतर्क नहीं, शिक्षित बनने” का संदेश दिया।

संतुलित भोजन और पीएच लेवल का महत्व

कार्यक्रम के संचालक डॉ. राजीव बिश्नोई ने कहा कि हमारा शरीर प्राकृतिक रूप से 80% अल्कलाइन और 20% एसिडिक है, लेकिन हम लगातार एसिडिक भोजन लेते हैं, जिसके कारण बीमारियां बढ़ती हैं। उन्होंने बताया कि शरीर 3000 प्रकार के एंजाइम बनाता है, लेकिन गलत डाइट और केमिकल दवाएं उन्हें नष्ट कर देती हैं। उन्होंने कहा कि बुखार, खांसी और जुकाम शरीर के डिटॉक्स के प्राकृतिक तरीके हैं। डॉ. बिश्नोई ने पंचकर्म और नेचुरल थेरेपी को नियमित दिनचर्या का हिस्सा बनाने की सलाह दी।

योगाचार्य ने बताए बीपी नियंत्रित करने के उपाय

योगाचार्य त्रयम्बकेश ने बताया कि ठंडा पानी पीना, देर से खाना और तनाव हाई बीपी के मुख्य कारण हैं। उन्होंने अनुलोम-विलोम, शीतली, पश्चिमोत्तानासन, भ्रामरी और घास पर चलने जैसी दिनचर्या अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लो बीपी वाले लोग साइलेंट अटैक के ज्यादा शिकार होते हैं। भोजन बदलें, फिर योग करें, यही स्वास्थ्य मंत्र है।

सात्त्विक जीवनशैली ही असली औषधि

सेवानिवृत्त आईएफएस विनोद कुमार विश्नोई ने कहा कि शरीर ही दुनिया में हमारा एकमात्र वास्तविक धन है। उन्होंने 40 वर्ष पुराने प्राकृतिक चिकित्सा अनुभव साझा करते हुए बताया कि 80% स्वास्थ्य भोजन से और 20% योग-व्यायाम से बनता है। डॉ. एम.के. सेठ ने कहा कि सोने से पहले बैली ब्रीदिंग और सकारात्मक सोच मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करती है। कार्यक्रम में स्वामी रामेश्वरम महाराज, सुशील अग्रवाल, सत्येंद्र सिंह समेत कई वक्ताओं ने स्वास्थ्य सूत्र बताए। सभी अतिथियों को पौधा देकर सम्मानित किया गया। संचालन में संजय बिश्नोई, पारुल बिश्नोई, रिंकी बिश्नोई, सुशील शर्मा, अर्चना शर्मा सहित कई लोग मौजूद रहे।

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