अब नहीं चलेगी बाउंसर्स और सोसायटी गार्ड की ‘गुंडई’, डीएम ने जारी की वर्दी से लेकर भाषा तक के लिए गाइडलाईन

विभु मिश्रा 
गाजियाबाद। हाई-राइज़ सोसायटियों, मॉल्स,और कंपनियों में सिक्योरिटी गार्ड और बाउंसर्स द्वारा निवासियों से बदसलूकी की बढ़ती शिकायतों पर प्रशासन अब सख्त हो गया है। जिलाधिकारी रविन्द कुमार माँदड़ ने चेतावनी जारी की है कि गार्ड सुरक्षा के नाम पर डर नहीं दिखा सकते। अब वर्दी, व्यवहार और भाषा तीनों पर प्रशासनिक निगरानी होगी।
डीएम रविंद्र कुमार माँदड़

व्यवहार पर कड़ा निर्देश

डीएम ने कहा कि कई सिक्योरिटी गार्ड और बाउंसर्स गेट पर खड़े होकर निवासियों से पूछताछ के नाम पर रौब झाड़ते हैं, तेज आवाज़ में बात करते हैं और कई बार धमकाने जैसा व्यवहार करते हैं। यह सुरक्षा के नाम पर मनमानी है और अब इसे अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। सभी आरडब्ल्यूए, एओए और प्राइवेट सुरक्षा एजेंसियों को आदेश दिया गया है कि वे अपने गार्डों को व्यवहारिक प्रशिक्षण दें। यदि किसी ने गाली-गलौज, बदसलूकी या डराने की कोशिश की, तो सीधी कानूनी कार्रवाई होगी—बिना किसी लिखित चेतावनी के।

वर्दी नहीं होनी चाहिए भ्रामक

जिलाधिकारी ने पाया कि कई गार्ड सेना या पुलिस जैसी वर्दी पहनते हैं, जिससे लोग भ्रमित होकर उन्हें सरकारी अधिकारी समझ बैठते हैं। यह दिखावटी दबाव पूरी तरह प्रतिबंधित होगा। अब गार्ड-बाउंसर्स को साधारण और स्पष्ट पहचान योग्य यूनिफॉर्म ही पहननी होगी। अगर कोई सुरक्षा कर्मी ऐसी पोशाक में पाया जाता है जो पुलिस-जैसी लगे, तो उसके साथ-साथ संबंधित संस्था पर भी कार्रवाई की जाएगी। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू माना जाएगा।

शिकायत पर तुरंत कानूनी कार्रवाई

डीएम ने साफ कर दिया है कि किसी निवासी, विज़िटर या आम नागरिक के साथ गार्ड द्वारा अभद्र व्यवहार, धमकी या अनावश्यक रोक-टोक की शिकायत मिलते ही कार्रवाई होगी। यह नियम सिर्फ सोसायटियों पर ही नहीं, बल्कि मॉल, कॉलोनी गेट और निजी संस्थाओं पर भी लागू होगा। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया कि “सुरक्षा देने के नाम पर डर पैदा करने वालों की अब जगह थाने में होगी, गेट पर नहीं।”

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