रिवर हाइट्स में घमासान तेज: एफआईआर के बाद अध्यक्ष गौरव वर्मानी का पलटवार, जानिए क्या कहा....

विभु मिश्रा 
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन की रिवर हाइट्स सोसायटी में वर्तमान एओए और पूर्व सचिव सुबोध त्यागी के बीच टकराव अब चरम पर पहुंच गया है। कोर्ट के आदेश पर दर्ज एफआईआर के बाद वर्तमान अध्यक्ष गौरव वर्मानी खुलकर सामने आए हैं और उन्होंने पूरे विवाद पर पूर्व सचिव सुबोध त्यागी और उनकी टीम को कटघरे में खड़ा करते हुए उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

एफआईआर द्वेषपूर्ण कार्रवाई

अध्यक्ष गौरव वर्मानी ने कहा कि पूर्व सचिव सुबोध त्यागी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर पूरी तरह असत्य, तथ्यहीन और राजनीतिक एवं व्यक्तिगत द्वेष से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि यह शिकायत ठीक उसी समय सामने आई जब वर्तमान एओए ने सुबोध त्यागी के 8 वर्ष के कार्यकाल का फॉरेंसिक ऑडिट शुरू कराया है। वर्मानी के अनुसार, एफआईआर सिर्फ ऑडिट से बचने और दबाव बनाने की कोशिश है।

हैंडओवर टालने का आरोप

गौरव वर्मानी ने दावा किया कि 23 फरवरी 2025 को भारी बहुमत से नवनिर्वाचित होने के बाद उन्होंने हैंडओवर प्रक्रिया तत्काल शुरू की, लेकिन पूर्व सचिव और उनकी टीम लगातार इससे बचती रही। उनके मुताबिक, कर्मचारियों के बीच यह भ्रम भी फैलाया गया कि नई एओए वेतन नहीं देगी, जिससे सोसायटी में अफवाहों का माहौल बना।
एओए अध्यक्ष गौरव वर्मानी और पूर्व सचिव सुबोध त्यागी

रिकॉर्ड गायब, डेटा डिलीट 

वर्मानी का कहना है कि जब नई कार्यकारिणी मेंटेनेंस ऑफिस पहुंची, तो वहां न कोई आधिकारिक दस्तावेज था और न ही कंप्यूटर का डेटा। कई बार लिखित और मौखिक अनुरोध के बावजूद पूर्व सचिव की ओर से स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि सभी टावरों में चेकलिस्ट चस्पा करने के बाद भी कोई रिकॉर्ड नहीं सौंपा गया।

सीसीटीवी फुटेज से बढ़ा संदेह

अध्यक्ष वर्मानी ने दावा किया कि उन्हें ऐसी सीसीटीवी फुटेज मिली है जिसमें चुनाव के अगले दिन कुछ पूर्व कर्मचारी मेंटेनेंस ऑफिस से फाइलें और सामग्री बाहर ले जाते दिखाई दे रहे हैं। वर्मानी के मुताबिक, यह सामान बाद में टावर-3, जहां पूर्व सचिव सुबोध त्यागी रहते हैं, में पहुंचाया गया। उन्होंने कहा कि इससे यह संदेह गहरा होता है कि पिछले 8 वर्षों का रिकॉर्ड जानबूझकर हटाया गया।

फॉरेंसिक ऑडिट असली कारण: वर्मानी

गौरव वर्मानी ने कहा कि वर्तमान एओए सचिव रितु चौधरी के साथ मिलकर उन्होंने पूरा मामला डिप्टी रजिस्ट्रार के संज्ञान में दिया, जिसके बाद 8 साल के कार्यकाल का फॉरेंसिक ऑडिट स्वीकृत हुआ। वर्मानी ने आरोप लगाया कि इसी ऑडिट से बचने के लिए पूर्व सचिव ने एफआईआर का सहारा लिया है। वर्मानी ने बताया कि उन्होंने न्यायालय में याचिका दायर की है और उन्हें भरोसा है कि अदालत सभी तथ्यों के आधार पर सत्य को सामने लाएगी।

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