राजनगर एक्सटेंशन: गुलमोहर गार्डन में वोटिंग राइट पर विवाद, बोर्ड पर सवाल! रेजिडेंट्स का जोरदार प्रदर्शन....
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन स्थित गुलमोहर गार्डन सोसाइटी में चुनावी प्रक्रिया को लेकर तनाव चरम पर पहुंच गया। चुनाव में देरी, सह-स्वामी के मताधिकार और बढ़ते आर्थिक संकट के खिलाफ बड़ी संख्या में निवासियों ने धरना-प्रदर्शन किया। आरोप है कि जानबूझकर चुनाव टाले जा रहे हैं, जबकि नियम और सरकारी आदेश स्पष्ट हैं।
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| अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद करते रेजिडेंट्स |
21 दिसंबर का चुनाव क्यों रुका
सोसाइटी में पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 21 दिसंबर को चुनाव प्रस्तावित थे। नामांकन पत्र वितरण के दौरान निवर्तमान बोर्ड और उनके समर्थकों पर हंगामा और अव्यवस्था फैलाने के आरोप लगे। हालात बिगड़ने पर चुनाव समिति ने सुरक्षा और निष्पक्षता का हवाला देते हुए पूरी चुनाव प्रक्रिया को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया। इस फैसले से आम निवासी नाराज हो गए, क्योंकि उनके अनुसार यह देरी सोसाइटी के हितों के खिलाफ है।
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बोर्ड के खिलाफ नाराजगी जताते रेजिडेंट्स |
सह-स्वामी के वोट पर विवाद
चुनाव समिति ने आंतरिक बैठक में 3:1:1 के बहुमत से फ्लैट के सह-स्वामी को वोट देने और चुनाव लड़ने का अधिकार देने का फैसला लिया था और इसी आधार पर चुनाव तिथि घोषित की गई थी। हालांकि वर्तमान बोर्ड और उसके समर्थक केवल “फर्स्ट ओनर” को ही मतदान का अधिकार देने पर अड़े रहे। इसी मुद्दे ने चुनावी विवाद को और गहरा कर दिया और सोसाइटी दो खेमों में बंटती नजर आई।
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| चुनाव की मांग करतीं सोसायटी की महिलाएं |
डिप्टी रजिस्ट्रार का आदेश दरकिनार
चुनाव रुकने से नाराज कुछ निवासी डिप्टी रजिस्ट्रार के पास पहुंचे। वहां से आदेश जारी हुआ कि चुनाव तय कार्यक्रम के अनुसार कराए जाएं और किसी भी विवाद को चुनाव के बाद सुना जाएगा। इसके बाद चुनाव समिति के सदस्य डॉ. प्रियंक आर्या ने चुनाव कराने पर सहमति जताते हुए पत्र सार्वजनिक किया। वहीं समिति के अन्य सदस्यों गजेंद्र आर्या और अनिल तोमर ने इस आदेश को एकतरफा और चुनाव में हस्तक्षेप बताते हुए आपत्ति दर्ज कराई। इसी बीच विष्णुकांत पांडेय ने चुनाव समिति से इस्तीफा दे दिया, जिससे स्थिति और उलझ गई।
कर्ज, आदेश और नियमों की अनदेखी
निवासियों का आरोप है कि सोसाइटी पर 80 लाख रुपये से अधिक का कर्ज है, जिसमें केवल सिक्योरिटी एजेंसी की देनदारी ही 60 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। सवाल उठ रहे हैं कि हाईकोर्ट के 2013 के डिजाइन आर्क से जुड़े आदेश और गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अगस्त 2024 के निर्देशों का पालन क्यों नहीं हो रहा। जीडीए ने साफ किया है कि फ्लैट ओनर, उसका पति या पत्नी, बालिग बच्चे, वैध किरायेदार और पावर ऑफ अटॉर्नी धारक सभी को वोट देने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। इसके बावजूद चुनावी देरी और मताधिकार के हनन को लेकर सोसाइटी में भारी रोष बना हुआ है।
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