यशोदा हॉस्पिटल में पश्चिम यूपी की पहली VNS सर्जरी, रिफ्रैक्टरी एपिलेप्सी से जूझ रही विदेशी बच्ची को मिली नई उम्मीद

ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स की टीम के साथ बच्ची
विभु मिश्रा 
गाजियाबाद। नेहरू नगर स्थित यशोदा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पहली मिनिमली इनवेसिव वेगस नर्व स्टिमुलेशन (वीएनएस) सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है। यह जटिल प्रक्रिया पापुआ न्यू गिनी (ओशिनिया) की एक बच्ची पर की गई, जो रिफ्रैक्टरी एपिलेप्सी यानी दवाओं से नियंत्रित न होने वाली मिर्गी से लंबे समय से पीड़ित थी। अस्पताल का कहना है कि यह उपलब्धि क्षेत्र में एडवांस न्यूरोसर्जरी की दिशा में महत्वपूर्ण पड़ाव है।

क्या है रिफ्रैक्टरी एपिलेप्सी

एपिलेप्सी में दिमाग में असामान्य इलेक्ट्रिकल गतिविधि होती है, जिसके कारण दौरे (सीजर) आते हैं। अधिकतर केस दवाओं से नियंत्रित हो जाते हैं, लेकिन कुछ मरीजों में दवा प्रभावी नहीं रहती। यही स्थिति रिफ्रैक्टरी एपिलेप्सी कहलाती है। ऐसे मरीजों में अचानक बेहोशी, शरीर का झटके मारना, जीभ कट जाना, मुंह से झाग आना, नजर खाली हो जाना जैसे लक्षण देखे जाते हैं। बार-बार दौरे पड़ने से पढ़ाई, व्यवहार, मानसिक विकास और जीवन की गुणवत्ता पर भी गंभीर असर होता है।
सर्जरी की जानकारी देती डॉक्टर्स की टीम

बिना दिमाग खोले सर्जरी

यशोदा में की गई "वीएनएस" तकनीक में पारंपरिक ब्रेन सर्जरी की तरह दिमाग को नहीं खोला जाता। गर्दन में एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लगाया जाता है, जो वेगस नर्व को हल्के इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजता है और ये संकेत दिमाग की असामान्य गतिविधि को नियंत्रित करते हैं। प्रक्रिया मिनिमली इनवेसिव है, रक्तस्राव बेहद कम होता है और मरीज की रिकवरी अपेक्षाकृत तेज़ बताई जाती है।
ऑपरेशन टीम के प्रमुख वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डॉ. पुनीत मलिक ने बताया कि हमने बच्ची के दिमाग को छुए बिना गर्दन में डिवाइस इम्प्लांट किया। यह सुरक्षित तकनीक है और कई मरीजों में दौरे काफी हद तक नियंत्रित होने लगते हैं। इस जटिल सर्जरी में डॉ. (प्रो.) ब्रिगेडियर यादवेंद्र सिंह सिरोही (न्यूरोलॉजी), डॉ. विकास चोपड़ा (एनेस्थीसिया) और डॉ. (मेजर) सचिन कुमार दुबे (पीडियाट्रिक्स) की विशेषज्ञता भी शामिल रही।

क्यों अहम है यह उपलब्धि

पश्चिम यूपी के गंभीर न्यूरोलॉजिकल मरीज अक्सर दिल्ली या गुड़गांव का रुख करते हैं। ऐसे में इस तरह की एडवांस प्रक्रिया का गाजियाबाद में उपलब्ध होना मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूती का संकेत है। यशोदा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के चेयरमैन डॉ. दिनेश अरोड़ा ने कहा कि हमारी कोशिश है कि मरीजों को दूर न जाना पड़े। यह उपलब्धि लोकल लेवल पर विश्वस्तरीय इलाज मुहैया कराने की दिशा में बड़ी छलांग है। 

अंतरराष्ट्रीय भरोसे में इज़ाफ़ा

अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक विदेशी बच्ची की स्थिति फिलहाल स्थिर है और रिकवरी भी संतोषजनक है। अंतरराष्ट्रीय मरीज पर सफल सर्जरी होने से अस्पताल की वैश्विक क्षमता भी सामने आई है। मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. रजत अरोड़ा ने कहा कि यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पहली "वीएनएस" सर्जरी है और टीम ने इसे पूरी सुरक्षा के साथ पूरा किया। यह हमारे क्लिनिकल स्टैंडर्ड और इनोवेशन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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